संत रविदास सरस्वती शिशु मंदिर जगदीशपुर में बच्चों के मध्य मना वीर बाल दिवस
बलिया। सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के बलिदान को आज भी इतिहास का सबसे बड़ा बलिदान माना जाता है। छोटे साहिबजादों का स्मरण आते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है और सर गर्व से ऊंचा उठ जाता है।
उपरोक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्षप्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक सुरजीत ने संत रविदास सरस्वती शिशु मंदिर अम्बेडकर नगर जगदीशपुर बलिया में अध्ययनरत बच्चों व विद्यालय परिवार के मध्य आयोजित वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में कही। वीर साहिबजादों के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद उन्होंने आगे बताया कि दिनांक 26 दिसंबर 1705 के वह आज का ही दिन था जब श्रद्धेय गुरु गोविंदसिंह जी महाराज के दो कोमल बच्चों को अमानवीय कृत्य से धर्मांध मुस्लिम शासकों ने गुरु महाराज के दोनों साहिबजादों वीर जोरावर सिंह जी व वीर फतेहसिंह जी को इस्लाम मजहब अपनाने से इनकार कर देने के कारण जिंदा ही दीवारों में चिनवा दिया था।
उन्होंने आगे बताया कि आततायी मुगल शासकों के इतिहास के पन्नों में मजहब के नाम पर ऐसे अनेक कुकृत्य भरे पढ़ें हैं। आज वीर बाल दिवस है। हमारी युवा पीढ़ी को चाहिए कि इतिहास के पन्नों को पलट कर देख लें और गुरु गोविंद सिंह महाराज एवं उनके परिवार की धर्म की रक्षा हेतु दिए गए अमर बलिदान का स्मरण करें।
ज्ञात हो कि यह पूरा कार्यक्रम बलिया के प्रतिष्ठित सीए सरदारसके बलजीत सिंह की देखरेख में सम्पन्न हुआ। नर सेवा नारायण सेवा की उक्ति को चरितार्थ करते हुए सह प्रान्त प्रचारक सुरजीत, सरदार जसवीर सिंह द्वारा विद्यालय में पढ़ने वाले प्रत्येक 60 भैया-बहनों को स्वेटर, पैंट, टीशर्ट, मौज, टोपी, स्पोर्ट्स शू, कॉपी तथा पेंसिल प्रदान किया गया।
इस अवसर पर जिला प्रचारक अखिलेश्वर, विद्यालय के अध्यक्ष छठु लाल शर्मा, प्रबन्धक नीतीश पांडेय, विद्यालय के प्रधानाचार्य उमाशंकर, शिक्षक तारकेश्वर, दिनेश राय, विनोद आदि के साथ पूरा विद्यालय परिवार व संघ व संगठन के अन्य गणमान्य बन्धु उपस्थित थे।
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