आदिवासी गोंडऊ नृत्य में प्रतिभागी जनजाति कलाकारों ने दी बेमिसाल प्रस्तुति
बलिया। आदिवासी गोंडऊ नृत्य सांस्कृतिक प्रतियोगिता, महाराजा बलि महोत्सव व प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन हेतु प्रकृति शक्ति फड़ापेन बड़ादेव गोंगो 26/27 नवम्बर 2023 की रात्रि को गंगा नदी पेंकोली कंसपुर दियर पर आयोजित की गई। आदीवासी गोंडऊ नृत्य में प्रतिभागी जनजाति कलाकारों ने एक से बढ़कर एक बेमिसाल प्रस्तुति पेश किया।
उक्त समरोह में पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, सोनभद्र के प्रकृति प्रेमी आदिवासी जनजाति गोंडी धर्माचार्यगण भाग लिए तथा प्रकृति प्रेम व प्रकृति को बचाने का सन्देश आम जन मानस को दिए। इस अवसर पर सबको अपने जीवन में कम से कम सात फलदार वृछ लगाने और उसे अपने पुत्र के समान सेवा करने का संकल्प दिलाया गया। अरविंद गोंडवान ने अपने संबोधन में कहा कि महाराजा बलि ने गंगा किनारे पेंकोली में ही प्राकृति के संरक्षण का संदेश दिया था जिसे मानव को आत्मसात करने की आवश्यक्ता है। वक्ताओं ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग दिन प्रतिदिन गर्म होती पृथ्वी को बचाने हेतु प्राकृतिवादी विकास का मार्ग अपनाना होगा। विकास के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर प्राकृति के विनाश की मानसिकता को हर हाल में रोकना होगा। आदीवासी जनजाति समुदाय आदि काल से ही जल जंगल जमीन का संरक्षक रहा है! गोंडी धर्माचार्य गण ने अपने प्रवचन में कहा की सरकार को भी अधिक से अधिक सांख्य में महुआ वृछ लगाने पर जोर देना चाहिए। महुआ में औषधीय गुण पाए जाते है जो कोरोना जैसी महामारी को रोकने में भी कारगर है।
इस अवसर पर गोंड समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनिवास गोंड, प्रदेश उपाध्यक्ष लल्लन प्रसाद गोंड, गोंडी धर्माचार्य सुदेश मंडावी, नंदजी गोंड, मनोज शाह, बब्बन गोंड, सुरेश शाह, सुमेर गोंड, पशुराम खरवार, शिवशंकर खरवार, सूचित गोंड, सुरेश गोंड, हंसराज धुर्वे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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