Saturday, October 28, 2023

अधम मनुष्य भी अपने कृत्य को बदलकर बन सकता है वाल्मीकि


अयोध्या शोध संस्थान द्वारा बापू भवन में मनाई गई वाल्मिकी जयंती
बलिया। बालमीकिया से बलिया बने बलिया ने जयंती पर रामायण महाकाव्य के रचयिता को याद किया। 
बालमीक नारद घटजोनी। 
निज निज मुखनि कही निज होनी।।
जाति, वृत्ति, कुल, बन्धु निज, गये सभी कुछ छूट। 
'मरा-मरा' कह राम से रिश्ता जुड़ा अटूट।।
पापी से पापी अधम मनुष्य भी अपने चित्त और कृत्य को बदलकर वाल्मीकि बन सकता है। 
उक्त विचार  टीडी काॅलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमलदार नीहार ने अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित वाल्मिकी जयंती बापू भवन टाऊन हाल में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किए। दीप प्रज्ज्वलन के उपरान्त रामायण पाठ लाडली पाठक किया। 

इस अवसर पर पूर्व डीन, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर प्रो. बनारसी राम, आकाशवाणी के लोकराग गायक राज नारायण यादव, गजलकार राजेन्द्र सिंह गंवार, कवि श्रीराम 'सरगम' बालकवि अनन्त प्रसाद रामभरोसे को सारस्वत सम्मान प्रदान किए गए। वर्ल्ड मिलेट्स इयर से जोड़कर संस्थान द्वारा टीडी काॅलेज के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह को 'श्रीअन्न शोध सम्मान ' से और कवियत्री अभिनेत्री श्रीमती राधिका तिवारी को अमर शहीद वीरांगना मकतुलिया मालिन सम्मान से विभूषित किया गया।

बृजमोहन प्रसाद अनारी, भोला प्रसाद आग्नेय, विंध्याचल सिंह, डाॅ. कादंबिनी सिंह, संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष डाॅ. राजकुमार मिश्र, डाॅ. फतेहचंद बेचैन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह, विजय प्रकाश पाण्डेय, काशीनाथ ठाकुर, रश्मि पाल, कु. प्रज्ञा, पायल, माया , डाॅ. अरविन्द उपाध्याय, आशुतोष सिंह, छोटेलाल प्रजापति, मृत्युंजय सिंह आदि वक्ता, कवि और गायक/ गायिकाओं ने आद्यकवि वाल्मीकि के जीवन से जुड़े व्यक्तव्य और गीत प्रस्तुत किए। संचालन डाॅ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने और आभार अभय सिंह कुशवाहा ने व्यक्त किए।

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