Tuesday, October 31, 2023

144 वर्ष का हुआ बलिया, पहली नवम्बर को 145 वें वर्ष में करेगा प्रवेश


पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था " बलिया राष्ट्र है।"
बलिया जिले ने अपनी स्थापना 144 वर्ष पूरे किए 01नवम्बर 1879 ईस्वी को जिला बना था बलिया।
इतिहासकार डाॅ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि इसके नामकरण की अनेक कहानियां हैं, आदिकाल में चाँदी सी चमकती सफ़ेद रेत (बालू ) के कारण जिसे आदिम लोगों ने 'बलुआ' के नाम से सम्बोधित किया, जिसका अपभ्रंश बलिया हुआ।
बलिया स्थापना दिवस पर विशेष-
वेदोदयकाल में दानवीर असुरेन्द्र राजा बलि की यज्ञ स्थली के नाते "बलियाग" के नाम से जाना गया, जिसका अपभ्रंश बलिया हुआ। त्रेतायुग में जिसे बाल्मीकी आश्रम के कारण "बलिमिकिया " नाम मिला, जिसका अपभ्रंश बलिया हुआ।      बालेय- बुलि राजाओं की राजधानी के नाते जिसे बलिया नाम मिला। डाॅ. कौशिकेय ने कहा कि इस बलिया को भगवान शिव ने अपनी तपस्या के लिए चुना था। 

बौद्धकाल के पूर्व जिस बलिया को कोशल नरेश प्रसेनजित ने मगध सम्राट बिम्बिसार को अपनी बहन महाकोशला के दहेज में दिया, फ़िर वापस लिया। पुनः नये मगध सम्राट ने आक्रमण किए और कोशल नरेश प्रसेनजित ने अपनी पुत्री वाजिरा के साथ मगध नरेश अजातशत्रु को दहेज में दिया।

डाॅ. कौशिकेय कहते हैं कि बलिया की नैसर्गिक शोभा देखने हस्तिनापुर के राजा शान्तनु आये और निषाद पुत्री सत्यवती से ब्याह किया। जिससे महाभारत काल का कौरव -पाण्डव वंश चला। बलिया गजेटियर के हवाले से डाॅ.कौशिकेय ने बताया कि बलिया को सन 1302 ई0में  बख्तियार खिलजी ने अंगदेश और बंगदेश से भू-भाग काटकर पहली बार राजस्व वसूली की इकाई महाल बनाया था। 01नवम्बर 1879 को ब्रिटिश साम्राज्य सरकार ने इसे जनपद बनाया जो आज कायम है।

डाॅ.कौशिकेय ने कहा कि यह गौरव की बात है कि भगवान शिव की साधना-भूमि, महर्षि भृगु , दर्दरमुनि , बाल्मीकी, दुर्वासा आदि ॠषियों की साधना भूमि, वेदव्यास, परशुराम, परासर , चैनराम , महराज बाबा , सुदिष्ट बाबा ,जंगली बाबा, श्रीनाथ बाबा, सन्त सदाफ़ल देव ,सन्त गयादास परमहस, हरेराम ब्रह्मचारी , चिरइयां बाबा , रामसिंहांसन ब्रह्मचारी , योगी गंगाधर शास्त्री, श्री पशुपति नाथ बाबा आदि अनगिन सिद्ध सन्तों की जन्मभूमि। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी , प0परशुराम चतुर्वेदी, डा0भगवत शरण उपाध्याय , हरिप्रसाद वर्मा 'श्रीहरि', जगदीश ओझा 'सुन्दर' , अमरकान्त, डाॅ. केदारनाथ सिंह जैसे सैकड़ों साहित्यकारों की जन्मभूमि।
डाॅ.कौशिकेय ने बताया कि अमर शहीद मंगल पाण्डे, गोविन्द मल्लाह, कौशल कुमार सिंह , देववसन कोइरी , भीम अहीर, रामजन्म गोंड , राजकुमार बाघ, दु:खी कोइरी , शिव प्रसाद कोइरी, ढेला दुसाध, राम सुभग चमार, सूरज मिश्र, गनपति पाण्डे , रघुनाथ अहीर, श्रीकृष्ण मिश्र सरीखे सैकड़ों बलिदानियों की धरती है। यह लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बाबू मुरली मनोहर लाल, गौरीशंकर राय, जगन्नाथ चौधरी, पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चन्द्रशेखर, जनेश्वर मिश्र, हरिवंश नारायण जैसे राजनेताओं की जन्मभूमि है।

डाॅ.कौशिकेय ने बताया कि विगत एक दशक से बंद बलिया महोत्सव को जनपद स्थापना दिवस पर नगर विधायक, परिवहन राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह द्वारा आयोजित कराया जा रहा है।

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