अखंड भारत संकल्प दिवस का भव्यता के साथ किया गया आयोजन
बलिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के विद्यार्थी कार्य विभाग द्वारा गुरुवार 14 अगस्त 2025 को सायं 7 बजे से नगर के टी0डी0 कॉलेज निकट श्री संकट मोचन मंदिर पर अखंड भारत संकल्प दिवस का भव्यता के साथ आयोजन किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्षप्रान्त के प्रान्त संयोजक कुटुम्ब प्रबोधन श्री संजय शुक्ल जी का पाथेय प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम नगर संघचालक परमेश्वरनश्री तथा प्रान्त संयोजक कुटुम्ब प्रबोधन श्री संजय शुक्ल द्वारा भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व स्वयंसेवकों द्वारा रंगोली से बनाये गए अखण्ड भारत के मानचित्र पर सैकड़ों दीप जलाने के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
अखण्ड भारत के विषय में बताते हुए मुख्य वक्ता संजय शुक्ल ने कहा कि अखंड भारत का विचार केवल एक भूतकालिक स्मृति या कल्पनालोक नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृतिक संकल्प है और यह संकल्प उन लोगों के लिए है जिन्होंने भारत को केवल ‘भूमि’ नहीं, बल्कि ‘माँ’ के रूप में देखा है।
उन्होंने बताया कि अखण्ड भारत केवल एक सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है। जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रातः उठकर पृथ्वी की स्तुति कर उसका रज अपने माथे से लगाता हो वह विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकता है। वर्षों की परतंत्रता के बाद 15 अगस्त को हमें आजादी मिली। परन्तु स्वातंत्र्य के आनन्द के साथ साथ भारत के विभाजन का घाव भी सहन करना पड़ा। सातवीं से नौवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ वर्षों तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लामिक हो गया। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण नेपाल व भूटान इस्लामिक विजय से बच गए। श्रीलंका पर पहले पुर्तगाल फिर हॉलैंड व अंत में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया। उन्होंने आगे बताया कि तेरह सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था उसी की परिणीति1947 के विभाजन में हुई। उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि पाकिस्तानी टेलीविजन पर किसी ने कहा कि आठवीं शताब्दी में जिस दिन 8वीं शताब्दी में पहले हिन्दू ने इस्लाम को स्विककर किया, उसी दिन भारत विभाजन के बीज पड़ गए थे।
उन्होंने आगे बताया कि 14 अगस्त को देशभर में अखंड भारत संकल्प दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। इस दिन हम उस भारत को याद करते हैं जो एक समय अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक फैला था। यह वही भारत था जिसमें हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्य एक सूत्र में पिरोए हुए थे।
उन्होंने आगे बताया कि अखंड भारत संकल्प दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भौगोलिक विभाजन के बावजूद हमारी सांस्कृतिक एकता आज भी अटूट है। 14 अगस्त 1947 को हमारे देश ने विभाजन की विभीषिका देखी। लाखों लोगों को अपना घर, अपनी जमीन और अपनी पहचान छोड़नी पड़ी। उस समय हुए दर्द और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने आगे कहा कि इस दिन का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि यह संकल्प लेना है कि हम उस अखंड भारत के विचार को अपने मन और कर्म में जीवित रखेंगे। यह दिन हमें बताता है कि हमारी असली ताकत हमारी एकता और हमारी साझा संस्कृति में है। चाहे हम अलग-अलग राज्यों, भाषाओं और परंपराओं से हों, हमारी जड़ें एक ही हैं।
अंत में भारत माता की सामूहिक आरती हुई तथा उपस्थित लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। अतिथियों का परिचय विद्यार्थी कार्य प्रमुख विवेक द्वारा कराया गया। रंगोली से अखण्ड भारत के मानचित्र को पारितोष व मोहित पाण्डेय द्वारा बनाया गया।
इस अवसर पर सह जिला संघचालक डॉ0 विनोद सिंह, सह विभाग कार्यवाह हरनाम, विभाग प्रचारक अम्बेश, सह विभाग संयोजक कुटुम्ब प्रबोधन रामकुमार तिवारी, जिला सेवा प्रमुख डॉ0 संतोष तिवारी, नगर कार्यवाह मारुति नन्दन, नगर प्रचारक प्रवीण, सह नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख बाल्मीकि ठाकुर, गणेश तिवारी, महाविद्यालयीन कार्य प्रमुख शशिकांत चतुर्वेदी, विजय नारायण शरण के साथ सैकड़ों लोग उपस्थित थे।