साल 2006 से शुरू हुआ राजेश गुप्ता का यह संकल्प अब अलख जगा रहा पूर्वांचल तक
कोविड-19 में किये गये एसडीपी और रक्तदान को यूनिसेफ ने भी की सराहना
वाराणसी। किसी का जीवन बचाने के लिए रक्तदान करना जरुरी है। अपने लिए तो सभी जीते है, पर दूसरों के लिए जीना बड़ी बात है। ब्लड डोनेट करके लोगों की न सिर्फ मदद की जा सकती है, बल्कि जीवन को बचाया भी जा सकता है। रक्तदान महादान है, इसे जीवनदान के बराबर माना जाता है। रक्तदान न केवल अन्य व्यक्ति के जीवन को बचाता है, बल्कि यह रक्त देने वाले को स्वस्थ बनने में भी मदद करता है, इसलिए यह दोनों के लिए फायदेमंद है। मैं चाहता हूं कि मेरा खून समाज के हर वर्ग के काम आए। किसी असहाय, अनाथ या गरीब की जान खून की कमी से न जाए।
यह कहना है राजेश गुप्ता का, जो रक्तदान जैसे महान कार्य के लिए एक मुहीम चला रहे हैं और अपने मकसद में कामयाब भी है। ‘अपने अखबार से ‘खास मुलाकात’ राजेश गुप्ता ने बताया कि वह अभी तक 103 बार रक्तदान कर चुके हैं। इसमें 60 बार सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) और 39 बार रक्तदान के अलावा कोविड-19 के दौरान चार बार प्लाज्मा दान भी शामिल है। उन्होंने बताया कि मैं करीब 19 साल से रक्तदान कर रहा हूं।
‘काशी रक्तदान नेत्रदान कुटुम्ब समिति’ के संस्थापक सचिव राजेश गुप्ता ने बताया कि कोविड कॉल में प्लाज्मा डोनेट करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। यूनिसेफ ने भी इसे संज्ञान में लिया था और इस सराहनीय कार्य के लिए प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित भी किया था। उन्होंने कहा कि रक्त का कोई विकल्प नहीं है। इसे बनाया नहीं जा सकता। इसलिए हमें रक्तदान कर दूसरों को जीवन देना चाहिए। 18 से 65 वर्ष तक का स्वस्थ व्यक्ति, जिसका वजन 45 किलोग्राम से अधिक तथा हीमोग्लोबिन 12.5 हो, रक्तदान कर सकता है। हर तीन माह में 300 ग्राम रक्त दान किया जा सकता है। आमतौर पर लोग रक्तदान करने से हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनका हीमोग्लोबिन कम होगा और शरीर में कमजोरी आएगी। लेकिन आपको बता दें कि रक्तदान सिर्फ किसी व्यक्ति की जान ही नहीं बचाता, बल्कि आपकी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। रक्तदान से आपका शरीर कई तरह की बीमारियों से बचा रहता है और साथ ही दिमाग को भी सकारात्मकता मिलती है।
कैंसर पीड़ित एक बच्चे को बचाने के लिए अप्रैल 2006 में पहली बार बी एच यू में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स दान करने वाले राजेश गुप्ता ने इसे जीवन का एक हिस्सा बना लिया और कसम खाई कि मेरा पूरा जीवन दूसरों की मदद के लिए ही होगा। तभी से मेरे अंदर रक्तदान करने का जुनून पैदा हो गया और मैं रक्तदान के प्रति लोगों को प्रेरित करने लगे। वर्ष 2008 आते-आते तमाम लोग उनसे जुड़ते चले गये। शुरूआती दौर में आलोक गुप्ता, निखिल गुप्ता, सूरज गुप्ता आदि को जोड़ा। बाद में, प्रदीप इसरानी, नीरज पारिख, धीरज मल्ल, नमित पारिख, अमित गुजराती, प्रशांत गुप्ता, आशीष केसरी, अभ्र्ज्योत राय, अभिनव टकसाली जुड़े और मेरा हौसला बढ़ाया और आज रक्तदान वीरों का एक कारवां बन गया है। यह कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 तक वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के अनेक जिले मसलन चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मीरजापुर, सोनभद्र, भदोही, आजमगढ़, मऊ, बलिया आदि जिले के दर्जनों लोग इस मुहिम में जुड़ गये। वर्तमान में कर्नाटक, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, मुम्बई राज्य के लोग भी इस मुहिम से जुड़ चुके हैं और एक संदेश पर रक्तदान या एसडीपी दान करने पहुंच जाते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में उन्होंने ‘एसोसिएशन ऑफ पूर्वांचल ब्लड डोनर्स’ नामक संस्था का गठन किया गया, जिसके वे संस्थापक अध्यक्ष है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य ब्लड की कालाबाजारी को रोकना और बिचौलियों के वर्चस्व को तोड़ना है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अब तब उनकी संस्था से सैकड़ों लोग जुड़े हैं। इसमें छात्र, डॉक्टर, एडवोकेट, इंजीनियर, उद्यमी, व्यापारी, समाजसेवी आदि शामिल है। ब्लड डोनेट करने के लिए कई व्हाट्सग्रुप भी बनाया गया है, जिस पर लोग अपने सम्पर्कों के माध्यम से संपर्क करते हैं और रक्तदान करने वाले तत्काल जरुरतमंद को रक्तदान कर देता है।
हम लोगों का एक स्लोगन है- ‘मंदिर-मस्जिद बैर कराते, मेल कराती है रक्तशाला।’ यह स्लोगन अब लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है। रक्तदान के लिए समय-समय पर स्कूल, कॉलेज एवं सार्वजनिक स्थलों पर जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है। एक सवाल के जवाब में उनका कहना रहा कि याद नहीं संस्था के लोगों ने अपने संकल्प और जुनून के चलते कितने लोगों की जान बचायी। लेकिन जिनकी भी जान बची, उनकी दुआओं का ही असर है कि हम निरंतर आगे बढ़ते हुए अपने मकसद में कामयाब है।
24 घंटे तैयार रहती है रेड अलर्ट टीम
राजेश गुप्ता ने बताया कि रेड अलर्ट नाम से एक पृथक टीम बनायी गयी है, जिसमें 50 सक्रिय सदस्य है, जो 24 घंटे किसी भी समय एसडीपी दान करने को तैयार रही है। महज एक कॉल पर संबंधित रक्त ग्रुप का सदस्य एसडीपी दान करने के लिए संबंधित अस्पताल तक पहुंच जाता है। इसके अलावा कैंसर, डेंगू और अन्य गम्भीर संक्रमण काल में भी यह टीम मदद के लिए सदैव तत्पर रहती है।
केआरके ब्लड प्रीमियर लीग
राजेश गुप्ता ने बताया कि इंडियन प्रीमियर लीग के तर्ज पर ब्लड प्रीमियर लीग का आयोजन जुलाई से अगस्त माह तक किया जाता है। इसमें रक्तदान करने वाली पूर्वांचल की संस्थाएं हिस्सा लेती है। यहां खेल का मैदान ब्लड बैंक होता है, वह भी सरकारी। इस लीग के तहत अगर कोई पहली बार रक्तदान करता है तो उसे छह रन दिया जाता है, जबकि कपल के रक्तदान पर 12 रन, कपल के भाई-बहन के रक्तदान पर 12 रन, मां-बेटी के रक्तदान पर 12 रन, पिता-पुत्र के रक्तदान पर 12 रन और एसडीपी दान पर 12 रन दिया जाता है। इससे रक्तदान वीरों का हौसला बढ़ता है।
गोद लिया है इन ब्लड बैंकों को
राजेश गुप्ता ने बताया कि हम लोग सरकारी ब्लड बैंक में ही रक्तदान जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके लिए छह सरकारी ब्लड बैंक को गोद लिया गया है। इसमें पांडेयपुर स्थित पं. दीनदयाल उपायाय जिला राजकीय चिकित्सालय, कबीरचौरा स्थित श्री शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय, बीएचयू स्थित सर सुंदर लाल चिकित्सालय, होमी भाभा कैंसर अस्पताल, महामना कैंसर अस्पताल एवं बीएचयू ट्रामा सेंटर शामिल है। एसडीपी डोनेट करने के लिए हर माह होमी भाभा अस्पताल में शिविर लगाते हैं। अभी तक करीब 10 हजार यूनिट से ऊपर ब्लड और एक हजार यूनिट से ऊपर एसडीपी डोनेट किया जा चुका है।
संस्था का संकल्प और कर्त्तव्य
1. जब भी कोई सदस्य 25वां, 50वां, 75वां, 100वां ब्लड डोनेट करता है तो संस्था के लोग मौके पर ही केक काटकर सेलिबे्रट करते हैं।
2. किसी भी चुनाव के वक्त पहले हम लोग मतदान करते हैं, फिर जलपान करते हैं और इसके बाद रक्तदान भी करते हैं।
3. संस्था के सदस्य अपने परिवार के किसी सदस्य के पुण्यतिथि पर भी श्रद्धासुमन अर्पित करने बजाय रक्तदान कर अपने उनको याद करते हैं।
4. रक्त नालियों में नहीं नाड़ियों में बहे, इसके लिए हर नागरिक को संकल्प लेना चाहिए। यह तभी सम्भव होगा, जब सरकार के साथ-साथ हर जिम्मेदार नागरिक इस दिशा में सकारात्मक कदम आगे बढ़ाए। इस बार एक और कार्य अपने जुनून में शामिल किया है।
राजेश कुमार गुप्ता को उनकी बेहतर सेवाओं के लिए 5 वी बार रोटरी मण्डल 3120 का ब्लड डोनेशन चेयरमैन बनाया गया है। अब वो मुहिम चला रहे है कि सभी लोग जो दो पहिया वाहन चलाते है वह अवश्य अपने हेलमेट के पीछे अपना ब्लड ग्रुप रेडियम चमकीले स्टिकर से अंकित करें।
केंद्र और प्रदेश सरकार से संस्था की अपेक्षा
1. ई-रक्त कोष ऐप को बराबर अपेडट होना चाहिए, जो नहीं होता। इससे रक्तदाताओं को ही नहीं जरुरतमंदों को दुश्वारियां झेलनी पड़ती है।
2. हर ब्लड बैंक का अपना एक सीयूजी नंबर हो, ताकि जरुरतमंद को ब्लड के लिए भाग-दौड़ न करनी पड़े और एक कॉल पर आसानी से रक्त सुलभ हो सके।
3. दुर्घटना बहुल्य क्षेत्र में रेडियम की पट्टी लगायी जानी चाहिए। लोगों को वाहन धीमी गति से चलाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
4. आउट डोर कैम्पों में अक्सर यह देखने को मिलता है कि ब्लड ग्रुप जांच नही की जाती है।
5. बी पी की मशीन खराब रहती है।
6. रक्त सेन्टर में रक्तदान के उपरांत रिफ्रेशमेंट अवश्य सबको मिलना चाहिए
7. अगर किसी रक्तकोष में किसी भी ग्रुप का ब्लड आवश्यकता से अधिक है तो उसे समय के अंदर दूसरे ब्लड बैंक में शिफ्टिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि ब्लड को डिस्कार्ट न करना पड़े।