धूमधाम से मनाया गया अधिवक्ता परिषद का 34वाँ स्थापना दिवस
बलिया। अपने ध्येय वाक्य "न्याय मम धर्मः" के साथ देश भर में कार्यरत अधिवक्ताओं की सबसे बड़ी संस्था अधिवक्ता परिषद काशी की बलिया ईकाई द्वारा दी सिविल बार एसोसिएशन बलिया के प्रांगण में अधिवक्ता परिषद का 34वाँ स्थापना दिवस शुक्रवार को धूमधाम से मनाया गया।
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि बलिया जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष पाण्डेय, दी सिविल बार एसोसिएशन के एल्डर कमेटी के सदस्य मनिंद्रनाथ राय, फौजदारी बार एसोसिएशन के एल्डर कमेटी के चेयरमैन अशोक सिंह अधिवक्ता परिषद काशी के प्रांतीय सदस्य व जिला शासकीय अधिवक्ता विनय कुमार सिंह तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष बलिया इकाई के जिलाध्यक्ष सुनील कौर राय अन्य अतिथियों द्वारा मां भारती, माँ सरस्वती व अधिवक्ता परिषद के संस्थापक दंतोपन्त ठेंगड़ी जी के चित्र पर पुष्पार्चन किया और राष्ट्रगीत वन्देमातरम के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता अजय राय द्वारा किया गया।
संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि सुभाष पाण्डेय ने कहा कि अधिवक्ता परिषद विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में कानून के प्रति लोगों में विश्वास, कानूनी सहायता में सुलभता, कानूनी जागरूकता संबंधी क्षेत्र में लगातार प्रयासरत है। अधिवक्ता परिषद इस बात के लिए संकल्पवद्ध है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक समान न्याय पहुंचे। उन्होंने आगे बताया कि अधिवक्ता परिषद की स्थापना 23 जुलाई 1992 को संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी द्वारा की गई थी। परिषद 'न्यायः ममः धर्मा' के आधार पर संगठन का कार्य करती है और राष्ट्रवादी अधिवक्ताओं के समूह का निर्माण करती है जो समाज के लिए कार्य कर सके। उन्होंने आगे कहा कि ने कहा कि अधिवक्ताओं ने ही समय-समय पर देश की दशा और दिशा बदली है, अधिवक्ता समाज के सबसे अधिक जागरूक और विधि के जानकार माने जाते हैं, ऐसे में समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी अधिक हो जाती है इसलिए उन्हें भी संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा संगठन कैसे मजबूत हो यह विचारणीय बिंदु है। उन्होंने संघे शक्ति कलयुगे की व्याख्या करते हुए कहा कि कलयुग में संगठित शक्ति ही सार्थक कार्य कर सकती है। अतः अधिवक्ताओं को संगठित होकर कार्य करना चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंद्र नाथ राय ने कहा कि अधिवक्ता को नित्य अध्ययनशील होना चाहिए। क्योंकि जब तक अधिवक्ता अध्ययन नहीं करेगा वो कुशल अधिवक्ता नहीं हो सकता। अधिवक्ता का कार्य ईश्वरीय कार्य होता है क्योंकि अधिवक्ता न्याय दिलाने का कार्य करता है।
इसी क्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष पाण्डेय ने सुभाष पाण्डेय ने कहा कि हमारा संगठन कैसे मजबूत हो यह विचारणीय बिंदु है। उन्होंने संघे/शक्ति कलयुगे की व्याख्या करते हुए कहा कि कलयुग में संगठित शक्ति ही सार्थक कार्य कर सकती है। अतः अधिवक्ताओं को संगठित होकर कार्य करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अधिवक्ता परिषद के जिलाध्यक्ष सुनील राय ने न्यायालय व न्याय की विशद व्याख्या की।
आभार ज्ञापित करते हुए अधिवक्ता परिषद के प्रांतीय सदस्य विनय कुमार सिंह ने अधिवक्ता परिषद के उद्देश्यों को विस्तार से बताते हुए कहा कि अधिवक्ता परिषद अधिवक्ताओं के पेशेवर हितों की रक्षा, अधिवक्ताओं के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने, न्यायपालिका में सुधार के लिए काम करने, सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर अधिवक्ताओं की राय को प्रस्तुत करने का कार्य करता है। उन्होंने आगे बताया कि अधिवक्ता परिषद की स्थापना 7 सितंबर 1992 को संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी द्वारा की गई थी। उन्होंने अतिथियों का तथा इस कार्यक्रम में सहयोग करने वाले बंधुओं वो उपस्थित अधिवक्ताओं का आभार ज्ञापित किया।
इस अवसर पर अनुभा राय द्वारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम कराया गया व वैष्णवी द्वारा भगवान राम पर सुंदर गीत प्रस्तुत किया गया। अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश राय, कुबेरनाथ पाण्डेय, विजय शंकर पांडेय, विनोद भारद्वाज, मंगलदेव चौबे, मारुति नंदन, अजय तिवारी, कुंज बिहारी गुप्ता, महिला प्रकोष्ठ की श्रीमती पूनम सिंह, ममता सिंह, शशि प्रभा पाण्डेय, सुजाता सरीख आदि के साथ अधिवक्ता बंधु उपस्थित थे।
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