जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विभिन्न विषयों पर हो रहा विचार विमर्श
बलिया। जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया में एक सप्ताह के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन गत दस अक्टूबर को हुआ। कार्यक्रम का विषय इकोनामिक फाईनेंशियल लिटरेसी पर चर्चा हुआ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मणिपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.आद्या प्रसाद पाण्डेय का आगमन हुआ।
प्रो.आद्या प्रसाद पाण्डेय ने विषय की प्रासंगिकता पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के समय में यह बताने की जरुरत है कि धन का ठीक समय पर ठीक उपयोग कैसे करें। समय पर सही संयोजन करें। अर्थ का संयोजन और समायोजन सही होना चाहिए। आज के समय में अपनी आवश्यकताओं को निश्चित कीजिए। वित्तीय संयोजन से आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। जननायक चंद्रशेखर विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय कार्यक्रम के अपने अध्यक्षीय उदबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रकाश डाला। एक शिक्षक को विद्यार्थियों के व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। विद्यार्थी के ज्ञान में संज्ञात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक रूप में बदलाव होना चाहिए। अध्यापक की प्रत्येक गतिविधि पर छात्र का ध्यान केन्द्रित होता है। इसलिए अध्यापक को प्रत्येक क्षण आदर्श व्यवहार करना चाहिए।अध्यापक बनना पूर्वजन्म का कर्मफल है। इसलिए अपने ज्ञान को भावी पीढ़ी के निर्माण के लिए लगा देनी चाहिए। कार्यक्रम का स्वागत भाषण डॉ.प्रियंका सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के समन्यवक डॉ.रमाकांत सिंह ने किया। संचालन डॉ.सरिता पाण्डेय के किया।
आयोजित कार्यशाला के द्वितीय दिन 11अक्टूबर को सत्र का प्रारम्भ डॉ. निशांत कुमार व्यवसाय प्रबंधन विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के वक्तव्य से हुआ। डॉ.निशांत कुमार ने डेरिवेटिव के आधुनिक प्रासंगिकता, उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डेरिवेटिव तेजी से धन कमाने का प्रमुख साधन नहीं है। यह वर्तमान में हो रहें वैश्विक बाज़ार में उतार- चढ़ाव के जोखिम से बचने का साधन है। डॉ.साहब ने यह भी बताया कि भारत जैसे देश जो कच्चे ईंधन की बहुतायत मात्रा में आयत करते है। इस बाज़ार के द्वारा अपने जोखिम को कम कर रहें है जिससे लगातार मुद्रा के मूल्य में स्थिरता बनाये रखने में बहुत हद तक मदद मिल सके।द्वितीय सत्र में सलाले विश्वविद्यालय फीचे, इथोपिया के प्रो.मनोज कुमार मिश्र ने वित्तीय जगत में अर्थनीति की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा उन्होंने वित्तीय जगत में पूर्वमान हेतु आवश्यक मॉडल पर महत्त्वपूर्ण चर्चा की। प्रो.मिश्र ने क्षेत्रीय वित्तीय संसाधनों को बाहर जाने से रोकने के लिए मॉडलो से बलिया जैसे क्षेत्र का तेज़ी से विकास होगा। तृतीय सत्र में चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के सहायक प्रोफेसर अर्थशास्त्र विभाग, डॉ गुंजन कुमार ने व्यक्ति विशेष हेतु आर्थिक और वित्तीय साक्षरता क्यों और कितना प्रासंगिक है पर विस्तृत चर्चा की तथा अपने सारगर्भित उद्बोधन से आर्थिक साक्षरता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
आयोजित कार्यशाला के तृतीय दिवस 12 अक्टूबर को सत्र का प्रारम्भ डॉ सुनील त्रिपाठी के अभिभाषण से हुआ। डॉ त्रिपाठी ने निवेश के विभिन्न संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा किया। तृतीय दिवस के कार्यशाला के द्वितीय सत्र में पोर्टफोलियो प्रबंधन के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए डॉ पवनेश कुमार जी ने कहा कि धन का निवेश करते समय अधिकतम लाभ, न्यूनतम जोखिम के आलावा निवेशित धन के मेच्योरिटी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है ताकि धन का सही समय पर सही उपयोग किया जा सके। तृतीय दिवस के तृतीय सत्र में वाणिज्य विभाग जननायक विश्वविद्यालय के डॉ विजय शंकर पाण्डेय ने एसआईपी निवेश के विभिन्न आयामों पर परिचर्चा किया।
इस अवसर पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया से डॉ.पुष्पा मिश्रा, डॉ.प्रियंका सिंह, डॉ. अजय कुमार चौबे, डॉ.विवेक कुमार, डॉ.नीलमणि त्रिपाठी, डॉ. संदीप यादव, डॉ.शशि भूषण, डॉ. प्रज्ञा बौद्ध, डॉ.राम शरण यादव, डॉ रंजना मल्ल, डॉ रूबी, डॉ स्मिता सहित प्रतिभागी गण एवं विश्वविद्यालय के छात्र उपस्थित रहे।
रिपोर्ट: विनय कुमार
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