Tuesday, July 30, 2024

विद्यालय भवन को जर्जर दिखा दूसरे विद्यालय में समायोजित करना पूर्णतया अनुचित

प्रावि बसरिकापुर को अन्य विद्यालय में समायोजित करने के आदेश पर ग्रामीणों ने जताया आक्रोश 
दुबहर (बलिया)। क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बसरिकापुर को बंद कर प्राथमिक विद्यालय अगरौली में समायोजित करने के बेसिक शिक्षा अधिकारी के आदेश के खिलाफ में मंगलवार के दिन बसरिकापुर के सैकड़ों ग्रामीणों की बैठक पंचायत भवन में पूर्व जिला पंचायत सदस्य सत्यनारायण गुप्ता की अध्यक्षता में हुई। बैठक में ग्रामीणों के अंदर प्राथमिक विद्यालय को बंद किए जाने को लेकर काफी आक्रोश था।
 
बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व जिला पंचायत सदस्य सत्यनारायण गुप्ता ने कहा 100 वर्ष से अधिक पुराने इस विद्यालय में कई गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते चले आ रहे हैं। आज भी इस विद्यालय में अच्छी खासी संख्या है। इसी विद्यालय में कभी हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सरीखे अनेकों लोगों ने शिक्षा ग्रहण कर समाज को संवारने और सजाने का काम किया। वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा इस विद्यालय के भवन को जर्जर दिखाकर दूसरे जगह इस विद्यालय को समायोजित करने का निर्णय पूर्णतया अनुचित है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में एक दो कमरे जर्जर हैं बाकी सब कमरा ठीक हैं। एक बार और स्थलीय निरीक्षण कर सही वस्तु स्थिति से अवगत होना आवश्यक है। इसके अलावा जिस विद्यालय में बच्चों को समायोजित किया गया है वहां जाने के लिए इस गांव के बच्चों को लगभग आधा किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलकर उस विद्यालय में जाना पड़ेगा। जहां छोटे-बड़े वाहनों का भारी दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में कोई अभिभावक अपने बच्चों की भविष्य के साथ रिस्क नहीं ले सकता है। 

ग्रामीणों ने कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी का यह आदेश इस गांव के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। उन्होंने इसके लिए जिलाधिकारी सहित क्षेत्रीय विधायक उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह से भी मिलने की बात कही है। 

इस मौके पर मुख्य रूप से पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतनारायण गुप्ता, श्रीराम पांडे, अवधेश पांडे, योगेश्वर प्रसाद, जनार्दन प्रसाद, प्रेमसागर पांडे, हवलदार प्रजापति, गुप्तेश्वर पांडे, रामनाथ शर्मा, अवध बिहारी, जवाहर लाल, अर्जुन पासवान कमला प्रसाद, रविप्रकाश तिवारी, कमलेश कुमार, सुधीर कुमार, रमेश कुमार, शहाबुद्दीन, चंद्रमोहन, बालेश्वर पटेल, राहुल राम, चंदू ठाकुर, अशरफ अली, अंकित पासवान, मुन्ना यादव, संजय गुप्ता, प्रेमप्रकाश वर्मा, लक्ष्मण यादव, दिलीप कुमार सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट: रणजीत सिंह

उ0प्र0 राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग गठित करने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन

अपने मांगो के समर्थन में राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को प्रेषित किया ज्ञापन
बलिया। भारत सरकार केन्द्र की भांति उत्तर प्रदेश में भी पृथक स्वतंत्र उ.प्र. राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करने तथा राज्य एसटी आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य के पद पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही व्यक्ति को नियुक्त किया जाय ताकि उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जनजाति समुदाय के साथ न्याय हो सके, इनके उत्पीडन पर रोक लगे और उत्तर प्रदेश के अनु0 जनजाति समुदाय के संवैधानिक  अधिकारों की रक्षा हो सके। इस मांग को लेकर 30 जुलाई दिन मंगलवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिलाध्यक्ष सुमेर गोंड के नेतृत्व में आदिवासी जनजाति गोंड, खरवार समुदाय के लोंगो ने बलिया कलेक्ट्रेट पर पहुँचकर जोरदार प्रदर्शन कर जिलाधिकरी के माध्यम से राज्यपाल व मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन प्रेषित किया। नगर मजिस्ट्रेट ने आकर पत्रक स्वीकार किया।

 इस अवसर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिलाध्यक्ष सुमेर गोंड ने कहा कि अभी-अभी मण्डलीय अधिकारी समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा है कि भारत सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार अनुसूचित जनजाति के प्रमाण-पत्र जारी किये जाए। गोंड जाति से सम्बन्धित जारी होने वाले जाति प्रमाण पत्र को विशेष रूप से देखा जाए। इसके बावजूद भी तहसीलदार व लेखपालगण द्वारा शासनादेश व मुख्यमंत्री के आदेश/निर्देश को दरकिनार करते हुए बलिया जिले में निवास करने वाले गोंड, खरवार जाति को जाति प्रमाण पत्र सुगमतापूर्वक जारी नहीं किया जा रहा है। आगे कहा कि उ0प्र0 में स्वतंत्र रूप से पृथक राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन कराने की मांग को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा 01 अगस्त 2024 से 09 अगस्त 2024 अन्तर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस तक नौदिवसीय कार्यालयवधि का धरना कलेक्ट्रेट माॅडल तहसील पर देकर जिले व प्रदेश के जनजातियों के संवैधिकारों की रक्षा हेतु आवाज बुलन्द की जायेगी।

 प्रदर्शन के दौरान प्रमुख रूप से ऑल गोंडवाना स्टूटेन्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शाह, गोंगपा के तहसील इकाई अध्यक्ष संजय गोंड, ओमप्रकाश गोंड, चन्द्रशेखर खरवार, सुरेश शाह, सुचित गोंड, राजेश गोंड, हरिशंकर गोंड, शिवशंकर खरवार, सुदेश शाह मंडावी, मोहन गोंड, सोनू गोंड, महेन्द्र गोंड, रामकुमार गोंड, अरविन्द गोंडवाना रहे।

यूपी में पृथक एसटी आयोग के गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन आज


महामहिम राज्यपाल व माननीय मुख्य मंत्री को प्रेषित किया जाएगा मांग पत्रक
बलिया। केंद्र सरकार की भांति उत्तर प्रदेश में भी पृथक स्वतंत्र उ.प्र. राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करने तथा राज्य ST आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य के पद पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही व्यक्ति की नियुक्ति की मांग को लेकर 30 जुलाई दिन मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजे से बलिया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया जाएगा।

ऑल गोंडवाना स्टूडेंट्स  एसोसिएशन(AGSA) बलिया एवं 
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी(GGP) बलिया के संयोजकत्व में आज यह धरना प्रदर्शन होगा। ताकि उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जनजाति समुदाय के साथ न्याय हो सके। साथ ही इनके उत्पीडन पर रोक लगे और इनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हो सके। वही जिलाधिकरी के माध्यम से महामहिम राज्यपाल व माननीय मुख्य मंत्री को पत्रक ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा।

यातायात व्यवस्था व सड़क दुर्घटना रोकने के लिए जारी रहेगा विशेष अभियान: एआरटीओ

यातायात नियमों का पालन के लिए जागरूकता हेतु चलाया जा रहा विशेष अभियान
बलिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह के निर्देश पर एआरटीओ अरुण कुमार राय ने बताया कि जिला अधिकारी बलिया के मार्गदर्शन में यातायात नियमों का विशेष अभियान का पालन करने हेतु चलाए जा रहे सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

इस अभियान में ओवरलोडिंग गाड़ी, बिना नंबर प्लेट की गाड़ी, हाई स्पीड चलने वाले व्यक्ति के विरुद्ध, गाड़ी का फिटनेस, लाइसेंस व ओवर टेकिंग इन सभी पहलुओं पर एआरटीओ अरुण कुमार राय स्वयं मोर्चा संभाले हैं। चित्तू पांडे चौराहे के पास कई गाड़ी वालों को हिदायत दी गई। कई गाड़ियों पर से पीछे बैठे व्यक्तियों को उतर गया। उन्होंने लोगो से अपील करते हुए कहा कि यातायात नियमों का पालन करें ताकि आप भी सुरक्षित रहें ताकि आपका परिवार सुरक्षित रहें, दूसरों को भी सुरक्षित रहने दे। एआरटीओ अरुण कुमार राय ने लाउडस्पीकर से स्वयं अनाउंस कर रहे थे। 

इस मौके पर समर खान यातायात निरीक्षक बलिया सहित अन्य सहयोगी मौजूद रहे।
रिपोर्ट : असगर अली

Monday, July 29, 2024

प्रकृति संरक्षण दिवस पर विशेष -

सनातन संस्कृति एवं भारतीय परम्परागत ज्ञान में छिपी है प्रकृति संरक्षण की अवधारणाएं
मानव इस सृष्टि का सबसे महत्वपूर्ण एवं क्रियाशील प्राणी है। वह स्वयं एक सर्वश्रेष्ठ संसाधन हैं एवं संसाधन निर्माणकर्ता भी है। मानव अपने विकास हेतु सतत् क्रियाशील रहा है एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रकृति का सतत् दोहन एवं शोषण करता रहा है। प्रकृति में निहित सभी सम्भावनाओं का मानव द्वारा भरपूर उपभोग किया गया। इसका प्रभाव यह पड़ा कि प्रकृति में असंतुलन की  स्थिति उत्पन्न होने लगी,जिसके चलते हमारा सम्पूर्ण पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होता जा रहा है। मानव द्वारा किया गया अनियोजित एवं अनियंत्रित विकास अब विनाश की तरफ अग्रसर हो रहा है,जो अब हमें विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं एवं बीमारियों के रूप में परिलक्षित होने लगा है। 

       हमारा पर्यावरण एक वृद्ध मशीन की तरह है एवं समस्त पेड़ - पौधे व प्राणी जगत इसके जीवन के पेंच एवं पूर्जे हैं। मानव की भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन के चलते पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी में इतना अधिक असंतुलन उत्पन्न होता जा रहा है कि न केवल मानव जीवन, अपितु सम्पूर्ण पादप जगत एवं जीव -जंतु जगत का अस्तित्व संकट में पड़ता जा रहा है। कारण कि हमारे सभी प्राकृतिक संसाधन- वन, भूमि, जल, जीव, वायु, खनिज आदि समाप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं। जो बचे हैं, वो इतने प्रदूषित हो गए हैं कि मानव के जीवन, स्वास्थ्य एवं कल्याण स्रोतों के समक्ष अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। प्रकृति में हो रहे असंतुलन के कारण धरती का जीवन -चक्र भी समाप्त होता नजर आ रहा है। प्रकृति के बढ़ते असंतुलन के कारण बाढ़,सूखा,भू- स्खलन,मृदा अपरदन, मरूस्थलीकरण, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन जैसी प्राकृतिक आपदाएं उत्पन्न होकर हमारा अस्तित्व मिटाने पर तत्पर हैं। इसके अतिरिक्त अनेक मानवजनित आपदाएं भी भयंकर रूप धारण कर मानव के ही अस्तित्व को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं एवं "हम ही शिकारी, हम ही शिकार" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

                            डॉ. गणेश पाठक

  प्रश्न यह उठता है कि आखिर मानव के समक्ष उत्पन्न संकट एवं  प्राकृतिक असंतुलन को  को कैसे रोका जाय। यह भी सत्य है कि हम विकास को भी नहीं रोक सकते। ऐसे में हमें एक ही रास्ता दिखाई देता है कि यदि हम सनातन संस्कृति एवं भारतीय परम्परागत ज्ञान परम्परा में निहित अवधारणाओं के अनुसार प्रकृति के साथ व्यवहार करें, उसके अनुसार अपनी जीवन शैली एवं जीवन चर्या को अपनाएं तो निश्चित ही हम प्रकृति को भी बचा सकते हैं, प्रदूषण को भी भगा सकते हैं एवं पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी संतुलन भी बनाए रख सकते हैं। क्यों कि सनातन संस्कृति अर्थात् हमारी भारतीय संस्कृति में प्रकृति संरक्षण की मूल संकल्पना छिपी हुई है। भारतीय संस्कृति अरण्य संस्कृति,  ऋषि संस्कृति एवं प्रकृति पूजक संस्कृति है,जिसमें हम प्रकृति के सभी कारकों में देवी - देवताओं का वास मानकर उनकी पूजा करते हैं। 

     भारतीय संस्कृति में प्रकृति के पांच मूल-भूत तत्वों- धरती, जल, अग्नि,आकाश एवं वायु की भी पूजा का विधान बनाया गया है। हमारे वेदों में क्षिति, जल,पावक,गगन एवं समीर इन पांच मूलभूत तत्वों की चर्चा की गयी है, जो प्रकृति के पांच मूलभूत तत्व है। इन पांच मूलभूत तत्वों की रक्षा एवं संरक्षण का विधान हमारी भारतीय संस्कृति एवं परम्परागत ज्ञान में भरा पड़ा है।  

  ऊर्जा के अजस्र स्रोत 'सूर्य' की भी हम पूजा करते हैं। सभी उपयोगी वृक्षों पर भी देवी- देवता का वास मानकर उनकी पूजा का विधान बताया गया है ताकि उनकी रक्षा हो सके। सभी जीव- जंतुओं को देवी- देवता का वाहन बना दिया गया है,जिससे कि जीव -जंतुओं को कोई नुक्सान न पहुंचा सके।

  हम भगवान की पूजा करते हैं और भगवान में पांच शब्द है- भ, ग, व, अ एवं न ,जिनका मतलब होता है क्रमश: भूमि,गगन, वायु, अग्नि एवं नीर। अर्थात प्रकृति के जो पांच मूल-भूत तत्व हैं - "क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर", इन्हीं पांच तत्वों की पूजा हम भगवान के रूप में करते हैं। मानवोपयोगी एवं प्रकृति संरक्षण से जुड़ी ऐसी अवधारणाएं विश्व में कहीं नहीं मिलती हैं। ये सभी अवधारणाएं हमारे भारतीय वांगमय- वेद, पुराण, उपनिषद, ब्राह्मण ग्रंथ, मनुस्मृति, चरक संहिता, धर्मसूत्र, रामायण, महाभारत सहित अनेक संस्कृत ग्रंथों में भरी पड़ी हैं।

     यही नहीं यदि हम भारतीय परम्परागत ज्ञान परम्परा को देखें तो हमारे परम्परागत ज्ञान परम्परा में ऐसी मानवोपयोगी एवं प्रकृति संरक्षण संबंधी अवधारणाएं निहित हैं, जिनका अनुपालन कर मानव न केवल अपना हितलाभ कर सकता है, बल्कि प्रकृति एवं पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षा करने में भी अहम् भूमिका निभा सकता है।

 हमारे जो भी रीतिरिवाज, परम्पराएं, प्रथाएं, उत्सव, त्यौहार, कहावतें, लोकोक्तियां एवं लोकगीत हैं, सबमें ऐसी विचारधाराओं का समावेश है, जिनका अनुसरण कर मानव न केवल अपना भला कर सकता है, बल्कि प्पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी अर्थात् सम्पूर्ण प्रकृति की रक्षा कर पादप जगत एवं जीव- जंतु जगत की भी रक्षा कर अपना संतुलित विकास करते हुए "सर्वे भवन्तु सुखिन,सर्वे संतु निरामया" एवं "वसुधैव कुटुम्बकम्" की उद्दात भावना से संपृक्त होकर न केवल भारत ,बल्कि विश्व के कल्याण के लिए भी अग्रसर होगा।

          डॉगणेश पाठक
            (पर्यावरणविद्)
पूर्व प्राचार्य एवं पूर्व शैक्षिक निदेशक 
जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय,
 बलिया, उ०प्र०

अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संवरा

हास्पिटल भवन के टाइल्सीकरण का भुगतान, लेकिन नहीं लगा है एक भी टाइल्स: गोपीनाथ चौबे
चिलकहर (बलिया)। भारत का हृदय उतर प्रदेश की सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का दंभ भर रही है, लेकिन रोगियों के लिए मूलभूत स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के प्रति सरकार सजग सचेष्ट नहीं है।स्वास्थ्य केन्द्र भवन की साफ सफाई रख रखाव हालात एकदम से दयनीय है, अगर विश्वास न हो तो जनपद बलिया अन्तर्गत राजधानी रोड के किनारे पर बने नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र संवरा का अवलोकन कर स्वास्थ्य सुविधा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता की सच्चाई स्वयं देखी जा सकती है।

 वैसे इस हास्पिटल के परिसर में ही पूरे बलिया सहित आस पास के जनपदों में दवा सप्लाई करने के लिए भण्डारण है। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल का टाइल्सीकरण भी हो गया है लेकिन सच्चाई यह है कि आज तक एक भी टाइल्स नहीं लगी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा दुरभि संधि अभिलेखीय कूट रचना द्वारा सरकारी धन का दुर्विनियोजन एवं लोक सेवक के आचरण के विरुद्ध नैतिक अधमता अन्तर्वलित अपराध किया गया है। 

नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जहाँ ग्रामीण क्षेत्र के गरीब व्यक्ति अपनी दवा कराने आते हैं उस स्वास्थ्य भवन हालत अति ही दयनीय है।सरकारी अस्पताल में चिकित्सक है, रोगियों के जांच की सुविधा की बात छोड़ भी दी जाय तो रोगियों के लिए शौचालय पंखा पेय जल जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद है।अस्पताल का फर्श टुट गया है, पुरी बिल्डिंग से वरसात में पानी छीज रहा है। सामान्य जनता के लिए स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाला हास्पिटल खुद बीमार है। 

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मारक समिति के अध्यक्ष गोपीनाथ चौबे ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि हास्पिटल के सफाई रंग रोशन के लिए 85 हजार रुपये हर साल आता है लेकिन लगता है आज तक वर्षों से स्वास्थ्य केन्द्र की सफाई नही कराई गयी वही स्वास्थ्य केन्द्र भवन में टाइल्स लगाने का भुगतान तो हो गया है, लेकिन आज तक टाइल्स नहीं लगाया गया है।

श्री चौबे ने सरकार को पत्र लिख कर इसकी जाँच करा दोषियों के विरुद्ध प्रशासनिक एवं वैधानिक कार्यवाही के साथ ही स्वास्थ्य केन्द्र पर बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की मांग किया है।

Sunday, July 28, 2024

श्रावण मास में सोमवार को शिव पूजा पर विशेष


शिव -पूजन की कुछ रहस्यमयी बातें: डा० गणेश पाठक
भारत वर्ष में देवाधिदेव आशुतोष भगवान शिव की पूजा सबसे अधिक की जाती है। वैसे तो भगवान शिव की विशेष पूजा फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को की जाती है, किंतु वर्ष भर प्रत्येक दिन भी भक्तगण अपने इस आराध्य देव की पूजा - अर्चना करते हैं। आईए इस लेख में हम जानते हैं कि शिव पूजन की प्रमुख रहस्यमयी बातें कौन - कौन हैं एवं शिव की विशेष पूजा क्यों की जाती हैं।

'शिव' का अर्थ- 
शिव अपने- आप में स्वयं रहस्यमय हैं। इसलिए 'शिव' का अर्थ भी कम रहस्यमय नहीं है। 'शिव' का नाम शारीरिक न होकर परमात्म शक्ति का गुण वाचक प्रतीक है। इसलिए यह ईश्वरीय गुणों एवं कर्तव्यों के आधार पर आधारित है। सनातन संस्कृति में 'शिव' का वास्तविक अर्थ 'कल्याणकारी' है, जो उन्हें सर्वशक्तिमान होने का भाव प्रकट करता है। यही कारण है कि अपने नाम के अनुरूप शिव मात्र किसी जाति, धर्म,मत, सम्प्रदाय का कल्याण नहीं करते, बल्कि मानव सृष्टि का कल्याण करते हैं।

शिव का स्वरूप : साकार या निराकार -
वैसे तो शिव की मर्ति की भी पूजा होती है, जिसे उनका साकार स्वरूप कहते हैं। किंतु वास्तव में शिव के निराकार रूप (शिवलिंग) की ही पूजा का विधान है। शिव की आरती एवं जब -तप में भी उनके निराकार रूप का ही गायन किया जाता है। जैसे - 'ऊॅं जय शिव ओंकारा' तथा 'ऊॅं नमः शिवाय' अर्थात्  ऊॅं (निराकार आत्मा) अपने ही समान ऊॅं आकार वाले निराकार पिता 'शिव' को याद करते हैं।'शिव' का अजन्मा, अविनाशी के रूप में गायन तथा 'ज्योर्तिमय' पिण्ड रूप में उनकी पूजा भी 'शिव' के निराकार रूप का ही द्योतक है।

शिव पर आक,धतूरा,भांग एवं बेलपत्र चढ़ाने का रहस्य- 
चूंकि 'शिव' का अर्थ कल्याणकारी है,अंत: शिव ने अपने लोक- कल्याणकारी स्वभाव के कारण अवतार लेकर सर्व साधारण की आत्माओं से काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, द्वेष, घृणा , वैमनस्य एवं उनके पापों को अपने में आत्मसात कर लेने के लिए मांगा था, किंतु उन बुराईयों के बदले नासमझ मानव ने मंदिर, भांग एवं धतूरा रूपी विस्मय पदार्थ अर्पित किया। शिव ने आंखों की कुदृष्टि ( पाप की दृष्टि) मांगी, किंतु मानव ने आकर का फूल अर्पित किया, जिससे कि आंखों की ज्योत ही समाप्त हो जाती है। शिव का विचार था कि हे मानव!  तुम सब आत्माओं को मुझे ही जानों अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश तीनों में ही हूं। क्योंकि मैं ही ब्रह्मा के रूप में सृष्टि की रचना करता हूं, विष्णु के रूप में पालन करता हूं एवं महेश के रूप में आसुरी सृष्टि का संहार करता हूं। अतः इन तीनों का जनक समझ कर मुझे ही स्मरण करो, तुम्हारा कल्याण होगा। किंतु अज्ञानी मानव ने तीनों के पिता होने के नाते तीन पत्रों वाला बेल -पत्र अर्पित किया।

शिव के विविध नामों का रहस्य- 
 शिव के विविध नाम भी रहस्य से भरे हुए हैं। उनके ये नाम उनके गुणों एवं कर्तव्यों पर आधारित हैं,जो इस प्रकार है-
1. रामेश्वर - राम के ईश्वर अर्थात् राम के पूज्य।
2. गोपेश्वर -श्रीकृष्ण के पूज्य।
3. भूतेश्वर - भटकती आत्माओं को मुक्त करने वाले।
4. पाप कटेश्वर - पापों को काटने वाले।
5. मंगलेश्वर - मंगल (सुख - शांति प्रदान करने वाले।
6. अनंत ईश्वर - अपार शक्तियों वाले।
7. महाकालेश्वर - कारों के काल, महाकाल।
8. प्राणेश्वर - सर्व आत्माओं के प्राणों के ईश्वर।
9. ज्ञानेश्वर - सर्व आत्माओं के जन्म - जन्म को जानने वाले।
10. त्रिलोकीनाथ - तीनों लोकों के स्वामी। 
11. महाबलेश्वर - अतुलनीय बल वाले।
12. मनकामेश्वर - मन की कामनाएं और पूरी करने वाले।
13. मंगलेश्वर - सभी धर्मों एवं पंथों के ईश्वर।
14. जगदीश्वर - सम्पूर्ण जगत के स्वामी। 
15. ज्योर्तिलिंगम् - जिनका रूप ज्योति सदृश है।
16. ओंकारेश्वर - आत्माओं के परम् पिता।
17. परमात्मा - सम्पूर्ण आत्माओं के परम् आत्मा। 
18. त्रिमूर्ति - ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का एकाकार रूप।
19. क्षितिश्वर - पृथ्वी के स्वामी। 
20. औघड़ दानी - शिव का औघड़ एवं कल्याणकारी रूप।
21. ऊॅंकार अकाल मूर्ति - जो आत्मा के समान आकार वाले हैं एवं जिन्हें कोई काल नहीं खा सकता (गुरू ग्रंथ साहिब में)।
22. पावन प्रकाश - ज्योतिर्गमय निराकार प्रकाश स्वरूप(बाइबिल में वर्णित)।
23. पार - ब्रह्म परमेश्वर -सूर्य तारागणों के परे ब्रह्मलोक वासी।
24. मुक्ति दाता -मुक्ति प्रदान करने वाले।
25. संग -ए-असवद- मक्का में मुस्लिमों द्वारा 'नूर'(ज्योति) के रूप में पूजित।

     उपर्युक्त नामों के अतिरिक्त भी शिव के अनेक रहस्यमय नाम है। (मण्डी - ऋषि कृत सहस्त्र नामावली 'महा भारत' में दी गयी है)।

शिवरात्रि पूजन का रहस्य - 
शिव का जन्म साकार रूप से मनुष्यों के गर्भ से नहीं होता, अपितु परकाया में अवतरण होने से होता है। गर्भ से जन्म न लेने के कारण ही शिव को आजन्म -अविनाशी कहा जाता है।शिव का अवतरण कलियुग के अंत एवं सतयुग के आदि में सम्पूर्ण विश्व को नरक से स्वर्ग बनाने के समय  अति 'घोर अज्ञान' रूपी 'रात्रि ' के समय में होता है। यही कारण है कि शिव के अवतरण को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

  शिव का वास्तविक स्वरूप देशों एवं मनुष्यों के समान न होकर सदैव ही प्रकाशमय अति सूक्ष्म 'ज्योति बिंदु' स्वरूप है। 'शिव' का आदेश था कि हे आत्माओं! मेरे 'ज्योति बिंदु' रूप में ही मुझे स्मरण करना चाहिए, किंतु मानव उन्हें 'ज्योति बिंदु' रूप में याद न करके उनके पिण्ड पर बिंदु बनाकर ऊपर से एक -एक बूंद जल गिराकर ही उनके 'ज्योति बिंदु' रुप की पूजा -अर्चना करते हैं।

                                डा० गणेश पाठक

सम्पर्क सूत्र -
श्रीराम विहार कालोनी 
बलिया,उ० प्र०
277001

गायत्री परिवार का उपजोन कार्यकर्ता सम्मेलन सम्पन्न

सम्मेलन में बलिया, मऊ, गाजीपुर व आजमगढ़ के गायत्री परिवार के 600 कार्यकर्ताओं ने किया प्रतिभाग
बलिया। गायत्री शक्तिपीठ महावीर घाट पर रविवार को उपजोन कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। जिसमें उपजोन मऊ से पोषित चार जनपदों बलिया, मऊ, गाजीपुर व आजमगढ़ के गायत्री परिवार के 600 कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।


 सम्मेलन को संबोधित करते हुए वाराणसी जोन समन्वयक मान सिंह वर्मा ने कार्यकर्ताओं को शांतिकुंज हरिद्वार से चलाई जा रही गतिविधियों में पूरे मनोयोग से लग जाने का आवाहन किया। वर्ष 2026 में कुलमाता भगवती देवी शर्मा की  जन्मशताब्दी एवं अखंड ज्योति के शताब्दी के वर्ष पर शांतिकुंज हरिद्वार से निर्धारित कार्यक्रम के लक्ष्य प्राप्ति के लिए कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन दिया। उपजोन समन्वयक मऊ प्रमोद राय ने वाराणसी जोन के उपजोन के कार्यकर्ताओं से संगठन की रीति नीति पर चलते हुए अनुशासित ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। मुख्यालय शांतिकुंज हरिद्वार से सम्मेलन को नरेंद्र सिंह ठाकुर ने मोबाइल से आनलाइन संबोधित किया।

 जिला समन्वयक आजमगढ़ सुदामा यादव, जिला समन्वयक बलिया रवींद्रनाथ पांडेय, जिला समन्वयक गाजीपुर व सुरेंद्र नाथ सिंह ने अपने अपने जिले की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन शक्तिपीठ के व्यवस्थापक विजेंद्र नाथ चौबे ने किया।

पूजा, उपासना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बदौलत ही जीवित है हमारी संस्कृति: सुजीत सिंह

कमेटी के सदस्यों सहित एवं कलाकारों को अंगवस्त्र एवं टी शर्ट देकर किया सम्मानित दुबहर (बलिया)। क्षेत्र के अखार गांव के शिव मंदिर...