Tuesday, September 26, 2023

27 सितम्बर को पर्यटन दिवस पर विशेष -


बलिया जिला में है पर्यटन की अपार सम्भावनाएँ

पर्यटन का हब बन सकता है बलिया: डा० गणेश कुमार पाठक           
बलिया। अमरनाथ मिश्र पी० जी० कालेज, दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के पूर्व शैक्षणिक निदेशक पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने एक विशेष भेंटवार्ता में बताया कि जनपद बलिया विविधताओं एवं विभिन्नताओं से भरा पड़ा है। खनिज संसाधन विहीन इस जिला में अभी तक कोई बड़ा उद्योग भी स्थापित नहीं हो सका। कुछ लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित हुए, किंतु वो भी दुर्व्यवस्था के शिकार होकर बंद हो गए। कृषि ही एकमात्र अर्थव्यवस्था का स्रोत है। यही कारण है कि इस जिला में बेरोजगारों की भरमार है और जिला का विकास भी कुंठित हो गया है।
 
            डॉ गणेश कुमार पाठक (पर्यावरणविद)

बलिया में पर्यटन विकास की है अपार सम्भावनाएँ-
डा० पाठक ने बताया कि उद्योग विहीन एवं रोजगार विहीन बलिया जिला में रोजगार बढ़ाने हेतु एवं अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत करने हेतु "पर्यटन उद्योग" की पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान हैं। बलिया जिला में खासतौर से जल पर्यटन, धार्मिक- आध्यात्मिक  पर्यटन, ऐतिहासिक पर्यटन, सांस्कृतिक  पर्यटन, पुरातात्विक पर्यटन, साहित्यिक पर्यटन, स्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़े स्थलों का पर्यटन, ग्राम पर्यटन, हालीडे पर्यटन आदि की पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं।

पर्यटन का हब बन सकता है बलिया
 डा० पाठक ने बताया कि यदि बलिया जिला में पर्यटन के विविध पक्षों का विकास किया जाय तो यह जिला पर्यटन का हब बन सकता है। इस जनपद में पर्यटन के इन  पहलूओं को पर्यटन के रूप में विकसित करना विशेष उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

धार्मिक-आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक पर्यटन
बलिया ज़िला धार्मिक- आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। धार्मिक - आध्यात्मिक दृष्टि से इस जनपद में अनेक पौराणिक स्थल हैं। जिसमें भृगु ऋषि का मंदिर, बालेश्वर मंदिर, परशुराम ऋषि का मंदिर, पाराशर ऋषि का मंदिर, वनदेवी का मंदिर, ब्रह्माणी देवी का मंदिर, शंकर भवानी का मंदिर, मंगला भवानी का मंदिर, कपिलेश्वरी भवानी का मंदिर, उचेड़ा मंदिर , सोनाडीह मंदिर, सुदृष्टि बाबा समाधि स्थल,चैनराम बाबा समाधि  स्थल, खपड़िया बाबा आश्रम, मिल्की धाम, नाथ बाबा स्थल (रसड़ा), रामशाला एवं बरईया पोखरा, (चितबड़ागांव), छितेश्वरनाथ मंदिर, चिरईया बाबा का पोखरा, अवनिनाथ बाबा, शोकहरण नाथ बाबा, मौनी बाबा आश्रम (डूहां विहार), वनखण्डी आश्रम, जंगली बाबा आश्रम, पकड़ी आश्रम, चण्डी देवी मंदिर, पचेव मंदिर, पचरूखा देवी का मंदिर, खरीद की देवी का मंदिर, जल्पा- कल्पा का मंदिर, खैराडीह का मंदिर, कारों का मंदिर आदि प्रसिद्ध है, जिनको पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर धार्मिक - आध्यात्मिक पर्यटन का रूप प्रदान किया जा सकता है। 

      ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से भी बलिया पर्यटन के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। खैराडीह में की गयी खुदाई में कुषाणकालीन अवशेष मिले हैं। देवकली गाँव में भी कुषाणकालीन मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। पक्काकोट की खुदाई में प्राचीन अवशेष मिले हैं। अनेक बुद्धकालीन स्थल भी हैं। जिनकों पर्यटन स्थल के रूपमें विकसित किया जा सकता है।
 
स्वतंत्रता सेनानी शहीद स्मारक से जुड़े पर्यटन स्थलः
स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े अनेक स्थल एवं गाँव ऐसे हैं, जिनकों विकसित कर गाँव पर्यटन का रूप प्रदान किया जा सकता है। मंगल पाण्डेय का गाँव नगवा, चित्तू पाण्डेय का गाँव सागरपाली, बैरिया स्मारक स्थल, चरौंवा स्मारक स्थल, बाँसडीह, चितबड़ागाँव सहित अनेक स्थल ऐसे हैं, जिनको विकसित कर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े पहलुओं पर पर्यटन स्थल के रूपमें विकसित किया जा सकता है।

जल पर्यटनः
 जल पर्यटन- बलिया जनपद में जल पर्यटन की पर्याप्त सम्भावनाएँ विद्यमान हैं। बलिया गंगा, घाघरा एवं तमसा(छोटी सरयू) नदियों से तीन तरफ से घिरा है। इन नदियों ने अपने प्रवाह मार्ग का परिवर्तन करते समय छाड़न के रूप में अनेक ताल- तलैयों का निर्माण किया है।  सुरहा ताल, दह ताल, रेवती दह, कटहर नाला, भागड़ नाला,चरौंवा ताल,नकहरा ताल, रतोय ताल सहित अनेक ऐसे प्राकृतिक ताल हैं, जिनको नौकायन, बोटिंग, मत्स्य पालन एवं प्रदर्शनी, पक्षी विहार आदि के रूप में विकसित कर एक दिवसीय पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है।

     खासतौर से सुरहाताल एवं दहताल को विकसित कर जल पर्यटन का बेहतर विकल्प प्रदान किया जा सकता है। कटहर नाला(कष्टहर नाला) एवं भागड़ नाला को विशेष तौर पर नौकायन के रूप में विकसित करना अत्यन्त लाभदायक होगा। इन दोनों नालों में तथा सुरहा ताल एवं दह ताल में साईबेरियन पक्षी आते हैं, जिनकी सुन्दरता देखते ही बनती है। किंतु अवैध शिकार होने के कारण अब ये कम आ रहे हैं। अतः अवैध शिकार पर प्रतिबंध लगना चाहिए और पक्षी विहार के रूप में विकास कर पर्यटन का स्वरूप देने से न केवल स्थानीय, देशी बल्कि विदेशी पर्यटक भी आ सकते हैं। 

     डा० पाठक ने बताया कि यदि वास्तव में बलिया के विकास हेतु कुछ करना है तो यहाँ के महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर ही इस जिले में बेरोजगारी का समाधान किया जा सकता है एवं जिले की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है। जिले में पर्यटन का विकास हो जाने से जिले सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, ग्रामीण एवं नगरीय विकास होगा। इस तरह बलिया जनपद सम्पूर्ण विकास के पथ पर अग्रसर होगा, इसमें कोई दो राय नहीं।

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