बलिया में स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में किया गया पथ संचलन
बलिया। संघ के छह उत्सवों में से एक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा के दिन पड़ने वाले वर्ष प्रतिपदा उत्सव को मनाने हेतु गुरुवार को बलिया शहर के श्री मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज के मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले के स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में एकत्रीकरण व पथ संचलन का आयोजन किया गया। संचलन के दौरान विभिन्न चौराहों समेत सड़क के दोनों किनारों पर खड़े नागरिकों व मातृशक्तियों द्वारा स्वयंसेवकों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
उस दौरान जनमानस द्वारा भारत माता की जय व कौन चले भाई कौन चले- भारत माँ के लाल चले का उदघोष लगया गया। हाथों में दंड, दिलों में राष्ट्रभक्ति का भाव संजोए सैनिकों की भांति कदम से कदम मिलाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया के दस खण्डों व छह नगरों से आये लगभग एक हजार स्वयंसेवकों का यह पथ संचलन श्री मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज के मैदान से प्रारम्भ होकर चित्तू पाण्डेय चौराहा पहुंचा। वहां से रेलवे स्टेशन, मालगोदाम रोड, एलआईसी तिराहा, श्री हनुमानगढ़ी मंदिर, चौक, सेनानी उमाशंकर सिंह चौराहा, विशुनीपुर चौराहा, हॉस्पिटल रोड से पुल के ऊपर से होते हुए पुनः श्री मुरली मनोहर टाउन डिग्री कॉलेज के मैदान में पहुंचा जहां जनसमरोह के बाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
संचलन से पूर्व स्वयंसेवकों द्वारा कार्यक्रम स्थल पर व्यायाम योग तथा आसन का प्रदर्शन किया गया। ज्ञात हो कि वर्ष प्रतिपदा का दिन संघ के स्वयंसेवकों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वर्ष प्रतिपदा के दिन ही संघ संस्थापक प. पू. डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म भी हुआ था। इसीलिए संघ का यह उत्सव वर्ष प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि गोरक्षप्रान्त के प्रांत सेवा प्रमुख श्री रविशंकर जी के साथ इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बलिया के प्रतिष्ठित इंजीनियर एवं उद्यमी अरुण सिंह सिंह जी थे।
अपने उदबोधन में मुख्य अतिथि श्री रविशंकर जी ने इस उत्सव की विशेषताओं को विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है, जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन भारत वर्ष में काल गणना प्रारंभ हुई थी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन मां भगवती के अवतरण दिवस है। यह दिन वर्ष प्रतिपदा या नवसंवत्सर के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव का नवरात्रों का प्रारम्भ इसी दिन से होता है। इसी दिन विक्रमादित्य द्वारा शकों पर पूर्ण विजय प्राप्त कर भारत को मुक्त करने के उपलक्ष्य में विक्रमी सम्वत का प्रारम्भ हुआ। इसी दिन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी द्वारा आर्य समाज की स्थापना की गईं। उन्होंने आगे बताया कि विक्रमी संवत्सर नववर्ष पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति, सभ्यता व परम्पराओं का प्रारम्भ दिवस है। वर्ष प्रतिपदा का दिन ऋतु परिवर्तन का भी प्रतीक है।
उन्होंने आगे बताया कि नवसंवत्सर के शुभ अवसर पर एक बालक का जन्म नागपुर में पिता बलिराम हेडगेवार व माता रेवतीबाई के घर 1 अप्रैल 1989 को हुआ। बालक का नाम केशव रखा गया। नववर्ष पर जन्म भगवान ने मानो विशेष योजना से केशव को दिया था। यह दिवस विशेष प्रेरणा व पराक्रम का है। अतः केशव ने भी एक पराक्रम युक्त, अनुशासित, विश्व विजयी संगठन का अभिनव, ऐतिहासिक व अद्वितीय कार्य का प्रारम्भ किया जिसका नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ था। इस संगठन कि शाखाओं पर देशभक्ति, अनुशासन, चारित्र्य, समता का भाव जाग्रत कर प्रान्त, जाति, वर्ण, व्यवसाय, ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर हम हिन्दू हैं का भाव लेकर सेवा कार्य, शिक्षा, किसान, मजदूर, वनवासी आदि अनेक विविध क्षेत्रों में कार्यकर्ता जुट गए है। इन कार्यकर्ताओं का एक ही धुन है कि भारत को पुनः परम वैभव पर ले जाकर गौरवशाली बनाना है।
उन्होंने आगे बताया कि संघ को जानना है तो पहले डॉक्टर हेडगेवार को जानना आवश्यक है। डॉक्टर हेडगेवार को जाने बिना संघ को समझना कठिन है। आज अगर हम संघ को देखेंगे तो डॉक्टर हेडगेवार का मानस क्या था, इसकी झलक मिल सकती है।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कार्यक्रम के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह जी ने कहा कि आप सभी को भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में अध्ययन पर पता चला कि, संघ के स्वयंसेवकों का देश में आई आपदाओं व संकटों में विशेष भूमिका रहती है। देश मे जब भी कोई संकट या आपदा आती है स्वंयसेवक सदैव सेवा के लिए तैयार रहता है। अनुशासन में स्वयं को रखकर समाज के प्रतीक व्यक्ति के बारे में विचार करना कि संघ की मुख्य भूमिका है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की आजादी में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए संघ नित्य कार्यरत है। वर्तमान में समस्त सामाजिक एवं राष्ट्रीय गतिविधियों का केन्द्र बिन्दु बन गया है। समाज में चार प्रकार के लोग हैं- एक जो संघ कार्य से प्रत्यक्ष जुड़े हैं, दूसरे जो संघ के प्रति सदिच्छा रखते हैं, तीसरे जो संघ कार्य से अनभिज्ञ हैं, चौथे वे जो हर हाल में संघ का विरोध करने को कटिबद्ध हैं। यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोधियों संख्या नगण्य है, फिर भी उनका विरोध संघ के लिए उत्प्रेरक के रूप में होता है। पूरे जनपद से आज संचालन हेतु सभी स्वयंसेवक बलिया नगर में पधारे हैं मैं उन सभी का स्वागत करता हूं। साथ में ही आप सभी ने हमें मौका दिया इसके लिए मैं धन्यवाद करता हूं। भारत माता की जय अतिथियों का परिचय जिला कार्यवाह हरनाम जी व आभार सह जिला कार्यवाह अरुण मणि ने किया। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक विभाग शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री रविन्द्र मोहन जी जी थे।
कार्यक्रम में मा. जिला संघचालक श्री भृगु जी, सह जिला संघचालक डॉ. विनोद सिंह, नगर संघचालक बृजमोहन जी, सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री जी, विभाग कार्यवाह संजय शुक्ल जी, विभाग प्रचारक तुलसीराम जी,बलिया नगर, जिला, विभाग कार्यकारिणी के कार्यकर्ता बंधूओं के साथ जिले के स्वयंसेवक व विचार परिवार के सदस्य उपस्थित थे। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन द्वारा दिया गया।
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