Wednesday, June 22, 2022

योग से शरीर सुदृढ़ व मन होता है शुद्ध: तुलसीराम

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आरएसएस बलिया द्वारा कराया गया सूर्य नमस्कार व योग- व्यायाम
बलिया। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बलिया नगर द्वारा शहर के टाउन हॉल के प्रांगढ़ में प्रातः 6 बजे मानवता के लिए योग विषय पर योग एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका जागृत राष्ट्र भारत के फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारण भी हुआ। आज संघ के संस्थापक परम पूज्य डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार की पुण्यतिथि भी है इसीलिए आज के दिन का संघ के लिए विशेष महत्व है। योगाचार्य श्री शाश्वत जी द्वारा सूर्य नमस्कार व योग-व्यायाम कराया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता बलिया विभाग के विभाग प्रचारक  तुलसीराम जी ने बताया कि हमारे यहां वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते हैं एवं वेदों में भी योग का वर्णन मिलता है। आज परम सौभाग्य की बात है कि जिस संगठन के नेतृत्व में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य हो रहे हैं और इतना ही नहीं वसुधा के कल्याण के लिए जो हमारे ऋषि-मुनियों का चिंतन है और शाश्वत सत्य है इसका भान कराने के लिए, सबको सम्यक जानकारी देने के लिए, संपूर्ण दुनियां में इसको फैलाने के लिए निरंतर जो प्रयास चल रहा है। ऐसे संघ के स्वयंसेवकों के द्वारा समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अद्भुत प्रयोग किए जा रहे हैं। आज विश्व योग दिवस है। आज संपूर्ण दुनिया में जो हमारी विचारधारा को मानते हैं या जो हमारी विचारधारा को नहीं मानते हैं, वह भी अपने स्वास्थ्य रक्षा के लिए और समाज के अंदर एक अच्छा नेतृत्व देने के लिए इस प्रकार की यौगिक क्रिया करते हैं। उसे योग कहते हैं। अपने योगियों का ज्ञान ही योग है। महर्षि पतंजलि जी ने आज से एक हजार वर्ष पूर्व अपने द्वारा रचित पुस्तक में अनेकों प्रकार के यौगिक क्रियाओं का वर्णन किया है। योग का अर्थ जोड़ना है। अर्थात शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा ये चार चीजें होती हैं, जिनमें सामंजस्य बिठाना होता है। इन चारों का जो सम्यक है वही मोक्ष है। इन चारों का सम्यक योग से ही संभव है। आज हमारे ऋषियों द्वारा प्रतिपादित योग का लाभ संपूर्ण विश्व उठा रहा है। हमारा मंत्र है- 'सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित् दुख भाग भवेत।' हम संपूर्ण विश्व से दुख को भगाना चाहते हैं। जिससे लोग सुखी रहें। सभी को निरोगी होने की कामना करतें हैं।
उन्होंने आगे बताया कि हम अत्यंत गर्व से कह सकते हैं कि योग का जन्मदाता भारतवर्ष ही है। भले ही 21 जून को ही मनाने के तमाम वैज्ञानिक कारण गिनाए जाते हों, पर, 21 जून राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के लिए कुछ और कारणों से भी खास रहा है। अब योग दिवस के रूप में मान्यता मिलने के कारण संघ के स्वयंसेवकों के लिए इसका महत्व और बढ़ गया है। दरअसल इस तिथि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परम पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जी की पुण्यतिथि भी है। इस नाते संघ परिवार 2015 में इस दिन को योग दिवस के रूप में मान्यता मिलने से पहले भी इसे खास तरीके से मनाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से विश्व के 175 देशों में 21 जून को योग दिवस के रूप में मान्यता मिलने से संघ परिवार के लिए यह दिन और भी विशिष्ट हो गया है। पूज्य डॉ. हेडगेवार जी की पुण्यतिथि तथा योग दिवस के संयोग के कुछ और भी ‘योग’ दिखाई पड़ते हैं।

उन्होंने योग व डॉ. हेडगेवार जी के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि योग से शरीर सुदृढ़ होता है व मन शुद्ध होता है। आज की भागमभाग दिनचर्या में कोई स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देता है जो कि अत्यंत घातक है। योग को हमे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।  डॉ साहब ने अपनी शाखाओं के माध्यम से स्वस्थ व बलिष्ठ शरीर के साथ शुद्ध सात्विक मन पर विशेष जोर दिया व स्वस्थ, निर्भीक व कल्याणकारी भारत देश की कल्पना को जन्म दिया। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक उमापति थे।

इस अवसर पर माननीय सह जिला संघचालक डॉ. विनोद, सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री जी व नगर प्रचारक विशाल जी के साथ विभाग, जिला व नगर के दायित्वधारी कार्यकर्ता व स्वयंसेवक बन्धुओं, अनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ सैकड़ों की संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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