Monday, April 1, 2024

रामायण एवं राम का जीवन मानव समाज के लिए है जीवन्त उद्दाहरण


नौ दिवसीय नवापरायण पाठ एवं यज्ञ तथा सत्संग अनुष्ठान व रामचरित मानस कथा का तीसरा दिन
रसड़ा (बलिया)। नौ दिवसीय नवापरायण पाठ एवं यज्ञ तथा सत्संग अनुष्ठान व रामचरित मानस कथा के तीसरे दिन रविवार को रामचरित मानस सत्संग अनुष्ठान समिति आयोजित श्रीनाथ मठ स्थित परिसर मे रामायण के कथा वाचक विद्वत अमर मणि त्रिपाठी शाण्डिलय चुटकिया बाबा ने अपने मुखार विन्दु से राम के चरित्र का उनके अपने माता पिता का अनुसरण के प्रसंग पर चर्चा की।

उन्होंने अपने उद्बोधन मे कहा कि मनुष्य को जीवन मे राम के आदर्श व उनके जीवन से सबक उतारने से जीवन सफल हो जाता है मनुष्य थोड़ा समय निकाल कर ईश्वर से प्रेम कर ले उन्हे जप ले तो वह हर दुखो से मुक्ति पा लेता है। वहीं स्त्रियो को अपने अन्दर लज्जा रखना ही सबसे बड़ा गहना है  घूघट पर्दा मे रहकर स्त्री अपने माता पिता की तरह ससुराल मे सास ससुर का सेवा करना पति आज्ञा पालन करना। जब माता सीता से वहां स्त्रियो ने पूछा तो माता सीता इशारे मे राम व देवर लक्षमण का परिचय दी। जिससे स्त्री का सबसे बड़ा गहना लज्जा ही स्त्री का गहना है। कथावाचक रामायण के मर्मज्ञ अमरनाथ त्रिपाठी ने ने कहा कि राम के व माता सीता के चरित्र को अगर मानव समझ ले तो उसे सुख की प्राप्ति होती है। 

भाई का भाई से प्रेम माता पिता का अनुसरण करना, उनके आज्ञा का पालन करना,  समाज मे लोगो को उनके दुख सुख मे सम्मलित होना, काम, क्रोध, लोभ, लालच, बैर भाव, कटुता से दूर रहना, स्त्रियो का सम्मान करना, वृद्ध लोगो की सेवा, गुरू का आज्ञाकारी, ईश्वर से प्रेम भक्ति करना मानव जीवन है। भक्ति से अपने अंतरात्मा से भगवान को उतारना अंतःकरण से याद करने से भगवान राम मिल जायेगें। पर्मात्मा का दर्शन हो जायेगा। मानव जीवन धन्य हो जायेगा। ईश्वरीय शक्ति मिल जायेगा। 

इस अनुष्ठान मे सहयोगी नपा नगर अध्यक्ष विनय शंकर जयसवाल, श्रीनाथ मठ के मठाधीश कौशेलेन्द्र गिरि, अशोक गुप्ता, दीना सिंह आदि रहे।
रिपोर्ट: लल्लन बागी

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