राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण विषय पर प्रबुद्ध जनों की एक दिवसीय संगोष्ठी संपन्न
बलिया। स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में दिए गए ओजस्वी भाषण से ही पश्चिमी सभ्यता के लोग भारतीय धर्म और संस्कृति की तरफ आकर्षित हुए थे। उनके विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं।
उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्षप्रान्त के प्रान्त प्रचारक सुभाष ने शहर के विजय सिनेमा रोड स्थित अग्रवाल धर्मशाला में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' विषय पर प्रबुद्ध जनों की एक दिवसीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म और आध्यात्म की आधुनिक और प्रेरणादायी व्याख्या करने में स्वामी विवेकानंद का अहम योगदान है। 12 जनवरी सन 1863 को जन्मे स्वामी विवेकानंद वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे।
उन्होंने आगे कहा कि जन्म से ही उनके मन में कुछ नया करने का विचार चलता रहता था। जब उनकी उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात हुई उन्होंने अपने गुरु से पूछा कि क्या अपने ईश्वर को देखा है? स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि हां मैन ईश्वर को उसी प्रकार देखा है जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ। स्वामी विवेकानंद जी स्वामी रामकृष्ण जी से प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए।उन्होंने आगे कहा कि समाज का प्रबुद्ध वर्ग जब निष्क्रिय हो जाता है, तब समाज में अराजकता का वातावरण बनने लगता है और समाज विघटन की ओर अग्रसर हो जाता है। इसलिए देश की एकता, अखंडता व समरसता हेतु प्रबुद्ध वर्ग को आगे आकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि सभी जातियों एवं मत-पंथों ने देश के निर्माण में अतुलनीय बलिदान दिया है, उस बलिदान का स्मरण कर और जातिवाद से ऊपर उठकर इसे संभाल कर रखना भी हम सभी की महती जिम्मेदारी है। उन्होंने आगे कहा कि देश बचेगा तो धर्म बचेगा, इसलिए अपने देश और धर्म की रक्षा हेतु सभी को ऊंच-नीच का भेद भुलाकर एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। नागरिकों का स्व जगाकर ही देश में स्व-तंत्र स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि देश के स्व को जगाने के लिए हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को अपने परिवार और गांव से लेकर संसद तक स्थापित करना होगा। उन्होंने सनातन पर चल रहे विवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि संघ के लिए कोई पराया नहीं है। आज जो लोग हमारा विरोध कर रहे हैं, वो भी हमारे ही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाते सबको जोड़ने का हमारा प्रयास है और सबको बुलाने का भी हमारा प्रयास रहता है। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा समाज में अनेक अच्छे काम समाज परिवर्तन हेतु किए जा रहे हैं, आप सब प्रबुद्ध जन उन कार्यों में सहयोगी हो सकते हैं।
संगोष्ठी की अध्यक्षता उच्च न्यायिक सेवा बिहार के जिले से अवकाश प्राप्त जिला जज सतीश जी ने किया। उन्होंने संघ द्वारा किये गए कार्यों की विस्तृत विवेचना किया। उन्होंने स्वामी जी के कृतित्व के बारे मे विस्तार से बताया। संगोष्ठी का शुभारम्भ प्रान्त प्रचारक सुभाष, सह जिला संघचालक डॉ. विनोद, नगर संघचालक बृजमोहन व संगोष्ठी के अध्यक्ष सतीश राय द्वारा भारत माता, पूज्य डॉ. हेडगेवार व पूज्य श्री गुरुजी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन करके किया गया।संगोष्ठी का संचालन सह जिला कार्यवाह अरुण मणि व अतिथियों का परिचय जिला कार्यवाह हरनाम ने किया।
इस अवसर पर उपरोक्त बंधूओं के साथ सह प्रान्त कार्यवाह विनय सिंह,सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री, विभाग प्रचारक तुलसीराम, जिला प्रचारक विशाल के साथ साहित्यकार जनार्दन राय, शिवकुमार कौशिकेय, जितेंद सिंह के साथ संघ व जिले के प्रबुद्धजन व मातृशक्तियां उपस्थित थीं।
संघ परिचय भारत परिचय सम्पन्न
बलिया। इसी क्रम में शांति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज मझौली बलिया के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया जिले का संघ परिचय भारत परिचय सम्पन्न हुआ जिसमें डॉक्टर, नर्स व मेडिकल कॉलेज के अध्ययनरत 275 शिक्षार्थी थे।
इस वर्ग के मुख्य अतिथि प्रान्त प्रचारक सुभाष व विभाग प्रचारक तुलसीराम, जिला प्रचारक विशाल उपस्थित थे। अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. आर.बी.एन पाण्डेय ने किया। रितेश दूबे व मंटूजी थे। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन द्वारा दी गयी।
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