Tuesday, February 1, 2022

किसान, बेरोजगार, नौकरी पेशा लोगों को निराशा हाथ लगी है बजट से

सपा के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय "कान्हजी" ने केंद्रीय बजट पर व्यक्त की अपनी प्रतिक्रिया
बलिया। वर्ष 2022 -23 के केंद्रीय बजट को पूंजीपतियों के विकास और उनके हेतु बजट कहा जा सकता है। 2022-23 के आम बजट को बजट की अपेक्षा काल्पनिक साहित्य की संज्ञा दी जा सकती है। बजट खाली थोथा कागज का पुलिन्दा है।

केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सपा के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय "कान्हजी" ने कहा कि बजट में मध्यमवर्ग के लिए आयकर में छूट में बृद्धि की जानी चाहिए थी। क्योंकि इस वर्ग ने कोरोना काल में काफी नुकसान उठाया है। इस वर्ग में छोटे व्यापारी, शिक्षक, कर्मचारी और स्वरोजगार में लिप्त लोग हैं जिनका मनोबल बढ़ाया जाना आवश्यक था। टैक्स स्लैब का दायरा बढा कर अर्थ व्यवस्था के विकास में तेजी लाई जा सकती थी। इस बजट से किसान, बेरोजगार, नौकरी पेशा लोगों को निराशा हाथ लगी है। साथ ही महंगाई से राहत दिलाने के लिये कोई प्रयास नहीं किया गया है। इस बजट में जन सुविधाओं के लिए भी कोई चर्चा नहीं की गई है। 

कँहजी ने कहा कि कार्पोरेट टैक्स को कम कर पूंजीपतियों को बूस्टर डोज़ दिया गया है। जबकि नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गई है। नई शिक्षा नीति 2021 के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। यह बजट देश के आम जन सामान्य को आर्थिक शक्ति प्रदान करने में पूरी तरह फेल है।

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