सतीश चंद्र महाविद्यालय के प्राचार्य ने किया ध्वजारोहण
बलिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153वीं जयंती तथा भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 118 वीं जयंती के अवसर पर रविवार को सतीश चंद्र महाविद्यालय के यशस्वी प्राचार्य डॉ0 वैकुण्ठ नाथ पाण्डेय द्वारा ध्वजारोहण करते हुए दीप प्रज्ज्वलन व महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
तत्पश्चात सर्व धर्म समभाव की प्रार्थना के क्रम में अखिलेश तिवारी ने हिन्दू धर्म की प्रार्थना करते हुए गीता के श्लोकोंपदेश प्रस्तूत किया। बीए की छात्रा मनमीत कौर ने गुरुवाणी प्रस्तूत किया। इग्नू परास्नातक के छात्र शैमुअल ने बाईबल में दर्ज ईशा के उपदेशों को महात्मा गाँधी जी से संबंद्ध कर प्रस्तूत किया तथा कुराने आयत में अल्लाह द्वारा अपने बन्दो की परवाह में दर्ज सबक को हिन्दी परास्नातक के छात्र अंजनी कुमार मिश्र ने प्रस्तूत किया।
महाविद्यालय में भूगोल के प्राध्यापक डॉ बृजेश तिवारी द्वारा राम धुन- "रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम" को प्रस्तूत किया गया। जयंती विशेष वक्ता के क्रम में प्राध्यापक शुभनीत कौशिक द्वारा महात्मा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए राजनीति की तरफ उन्मुख युवाओं को पहले नागरिक होने के विचारो से परिचय कराया गया।
महाविद्यालय के मुख्य अनुशासक डॉ अवनीश चंद्र पाण्डेय ने राष्ट्रपिता की महता को बताते हुए उनके मानवीय व्यवहारों को अपनाने की सीख देते हुए महात्मा गाँधी को भगवान श्रीकृष्ण का नेतृत्वपरक पर्याय कहा। जिसे ना तो पद की आशा थी न लोभ की फिर भी गाँधी जी भारत को स्वतंत्र कराने हेतू प्रतिबद्ध थे। वर्तमान व भावी वकीलों, न्यायमूर्तियों डॉक्टरों राजनेताओं तथा सम्पुर्ण मानव को महात्मा गाँधी के विचारो को आत्मसात करने की जरुरत है। यही हमारी राष्ट्रपिता को समर्पित श्रद्धांजलि होगी। केवल इस अवसर चरखा चलाकर श्रद्धाजंलि अर्पित करने वाले महानुभावों को मैं कहना चाहता हूँ उस चरखा चालक में और आपके चरखा चालन में अन्तर है। उन्होंने चरखा चलाकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबुत किया स्वदेशी को अपना। किन्तु आपकी चरखा ने चालन तब तक उनके चरखे का मान न बढ़ाएगी जब तक आपकी कथनी और करनी एक ना हो आप मानवता व राष्ट्रीयता को समर्पित ना हो।
अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने में महात्मा गांधी की ओर से विभिन्न आन्दोलन चलाए गए। सत्याग्रह जन आंदोलनों मे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी हमेशा लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख देते थे और लाल बहादुर शास्त्री की छवि सबसे ईमानदार नेता और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व के रुप में रही है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ बैकुंठ नाथ पाण्डेय जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्र के निर्माण में विद्यार्थियो शिक्षकों कर्मचारियों तथा महाविद्यालय परिवार से कर्तव्यनिष्ठ हो राष्ट्र के प्रति अपनी संवैधानिक कर्तव्यो के निर्वहन के द्वारा महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने की सीख दी। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ प्रवीण पायलट व महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों, कर्मचारियों सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अंजनी कुमार मिश्र ने किया।
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