Sunday, June 12, 2022

एक युग परिवर्तनकारी घटना थी छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक: संजय शुक्ला

हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के रूप में मनाया गया छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को
बलिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के रूप में मनाने हेतु रविवार को प्रातः साढ़े पांच बजे नागाजी मठ सरस्वती शिशु मंदिर भृगु आश्रम बलिया में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया विभाग के सह विभाग कार्यवाह  संजय शुक्ला का पाथेय प्राप्त हुआ।
 सर्वप्रथम भारत माता, परम पूज्य डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार, प.पूज्य श्री गुरुजी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर व छत्रपति शिवाजी महाराज के चित्र पर पुष्पार्चन के बाद उत्सव का शुभारंभ हुआ। हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव के बारे में विस्तार से बताते हुए मुख्य वक्ता संजय शुक्ल ने कहा कि संघ अपने छह उत्सवों में से एक हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव, छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के वर्षगाँठ के रूप में मनाता है। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह 6 जून 1674 को रायगढ़ किले पर सम्पन्न हुआ। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक एक युग परिवर्तनकारी घटना थी। छत्रपति शिवजी महाराज ने 344 साल पहले स्वराज्य, स्वधर्म, स्वभाषा और स्वदेश के पुनुरुत्थान के लिए जो कार्य किया है, उसकी तुलना नही हो सकती। शिवाजी महाराज मात्र एक व्यक्ति नहीं, वे एक विचार एक युगप्रवर्तन के शिल्पकार थे। भारत एक सनातन देश है। यह हिन्दुस्तान है, तुर्कस्थान नहीं, और यहां पर अपना राज होना चाहिए। 
इन्होंने आगे बताया कि हमारा इतिहास अनादि है। हम जिस युग में जी रहें हैं उसका इतिहास भी लगभग पांच हजार साल पुराना है। पर्सियन साइरस भारत पर आक्रमण किया परन्तु असफल रहा। उसके बाद सिकन्दर ने आक्रमण किया।उसके बाद अन्य आक्रमणकारी आये परन्तु, कोई सम्पूर्ण भारत पर शासन नहीं कर सका। अरबों के आक्रमण के पूर्व जितने भी आक्रमण हुए सभी राजनैतिक आक्रमण थे। अरबों का आक्रमण राजनैतिक के साथ साथ सांस्कृतिक आक्रमण था। उन्होंने हिन्दू शासन के विषय में बताते हुए कहा कि महाराजा पृथ्वीराज चौहान के बाद हिन्दू शासन लगभग समाप्त हो चुका था। दिल्ली में मुगलों की सल्तनत थी, और दक्षिण में आदिलशाह, कुतुबशाही आदि मुस्लिम राजा राज्य कर रहे थे। सभी जगह इनके सरदार सेनापति हिंदू ही रहा करते थे। मतलब यह हुआ कि हिंदू सेना नायकों ने ही हिंदुओं को गुलाम किया और उन पर विदेशी मुसलमानों की सल्तनत बिठा दी। जिनसे शिवाजी के पूर्व भी अनेक राजाओं ने संघर्ष किया। कुछ तात्कालिक सफल हुए। कुछ पूर्ण विफल हुए। लेकिन जो सफलता समाज को चाहिये थी वह कहीं दिख नहीं रही थी। जिसे शिवाजी ने कर दिखाया। यह केवल शिवाजी महाराज की विजय नहीं है। अपितु हिंदू राष्ट्र की अपने शत्रुओं पर विजय है।

शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक होना यह केवल शिवाजी महाराज के विजय की बात नहीं है। इस देश के धर्म, संस्कृति व समाज का संरक्षण कर हिंदुराष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने के जो प्रयास चले थे, इन सारे प्रयोगों के प्रयासों की अंतिम सफल परिणति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक है। छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन भोंसले घराने का शासन नहीं था  उन्होंने परिवार वाद को राजनीति में स्थान नहीं दिया। उनका शासन सही अर्थ में प्रजा का शासन था।

इस कार्यक्रम के सर्व व्यवस्था प्रमुख रामकुमार तिवारी व मुख्य शिक्षक शचीन्द्र थे,अमृत वचन अथर्व सोनी, व परिचय सह नगर कार्यवाह रवि सोनी द्वारा कराया गया। इस अवसर पर मा. सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री, जिला कार्यवाह हरनाम जी, संजय कश्यप के साथ नगर, जिला व विभाग के कार्यकर्ता बन्धु  व सैकड़ों स्वयंसेवक व गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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