Monday, January 17, 2022

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष व जिलाध्यक्ष के रवैये से नाराज पत्रकारों ने दिया सामूहिक त्यागपत्र

पत्रकारों ने लगाया भेदभाव का आरोप
रसड़ा (बलिया)। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार लाल और जिलाध्यक्ष शशिकांत मिश्र की मौजूदगी में तहसील इकाई की बैठक एक निजी धर्मशाला में संगठन की मजबूती के साथ आगे बढ़ाये जाने के विषय पर आयोजित था। जबकि कुछ समय एक निजी आवास पर मतलूब अहमद को तहसील अध्यक्ष मनोनीत जिला अध्यक्ष द्वारा किया गया था किंतु बैठक में एक  विशेष जाति के भेदभाव भी एक जाति विशेष का महत्व देते देखा गया। 

इस बैठक के आरम्भ में ही नये अध्यक्ष को चुने जाने की बात की जाने लगी। जिस पर संगठन के सदस्यों ने एतराज की। बावजूद कहे जाने पर कि अभी चुनाव की क्या आवश्यकता है। जबकि अभी चुनाव का तहसील अध्यक्ष बनाए गए हैं और उसके 6 माह में ही कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उसके बाद जिसको अध्यक्ष बनाना होगा आप उसे बना दीजीएगा ताकि किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचे। इस पर प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा कहा गया कि ग्रापए गोजर है और गोजर का दस बीस टांग टूट भी जाता है तो कोई परवाह नहीं पड़ता है। उसी तरह ग्रापए है जिससे  संगठन के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर केवल चार या पांच भी रहे तो ग्राफए यानी मैं जो चाहूंगा वो ही अध्यक्ष होगा। पूर्व योजना के तहत एक पूर्व पत्रकार को जो वर्षों पूर्व पत्रकारिता छोड़ चुका है उसी वक्त अध्यक्ष बनाने हेतु सदस्य बनाया गया और हवाला दिया गया कि यह पूर्वी संसार के संवाददाता हैं। कुछ और लोगों को भी जिन्होंने संगठन के विपरीत धारा में चल रहे थे को भी सदस्यता दी गयी। 

गौर करने वाली बात यह है कि "पूर्वी संसार" साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन पूर्ण रूप से वर्षों पूर्व बन्द हो चुका है। वैसे यह संगठित संगठन में अगर किसी का समाचार पत्र से दूर-दूर तक कोई संबंध ना रहने पर भी किसी समाचार पत्र के नाम डाल कर उसे सदस्य और पत्रकार बनाने का सिलसिला नया नहीं है यह वर्षों से चला आ रहा है। विशेष बात तो यह है कि पत्रकारिता में भी भेदभाव और जाति भेद का संगठन में दिया जाता है। जबकि पत्रकारिता एक मिशन है। यह सिद्ध होता है कि साजिशन ऐसा कार्य किया गया है। इसके विरोध में बैठक में मौजूद पत्रकारों ने बैठक का बहिष्कार करते हुए बहिर्गमन कर वहां से चले गए। चुंकि पत्रकार समाज का चौथा स्तम्भ है। आश्चर्य की बात है कि संगठन को प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा गोजर की संज्ञा दी जाती है। तो ऐसे संगठन को बुद्धिजीवी समाज क्या समझेगा। 

प्रदेश अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के रवैये से खिन्न होकर पत्रकारगण मतलूब अहमद तहसील अध्यक्ष, शिवजी वागले, गोपाल जी गुप्ता, विनोद कुमार शर्मा, अखिलेश सैनी, जफर अहमद, लल्लन बागी, संजय शर्मा, अशोक वर्मा, सुरेश चन्द, हरीन्द्र वर्मा के साथ नगरा से कृष्ण मुरारी पाण्डेय जिला महामंत्री, देवनारायण प्रजापति, ओमप्रकाश वर्मा, विनोद सोनी और मननारायण उपाध्याय ने सामूहिक रुप से अपना त्याग पत्र दे दिया है। क्योंकि पत्रकार गोजर नहीं होता है। देश और समाज के सुधारक तथा चिंतक होता है तथा नियम  सबके लिए बराबर होता है। आज रसड़ा तहसील संगठन के साथ साजिश के तहत की गई है। कल किसी और तहसील अध्यक्ष के साथ भी ऐसी साजिश की जा सकती है।
रिपोर्ट: लल्लन बागी

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