Wednesday, January 12, 2022

आज भी प्रासंगिक है स्वामी विवेकानंद के विचार: जयराम कुशवाहा


नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर के सभागार में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती
रसड़ा (बलिया)। नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर के विशाल सभागार में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयराम कुशवाहा ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद का जन्‍म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। भारत में उनके जन्‍मदिन को युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उन्‍होंने रामकृष्‍ण मठ, रामकृष्‍ण मिशन और वेदांत सोसाइटी की नींव रखी थी। स्वामी जी की बुद्धिमानी और हाजिर जवाबी की पूरी दुनिया कायल थी। स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक है।
हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती मनाई जाती है। इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। विवेकानंद बहुत कम उम्र में ही संन्यासी बन गए थे। पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराने का श्रेय स्वामी जी को ही जाता है। स्वामी विवेकानंद ने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें नरेन के नाम से भी जाना जाता है। बहुत कम उम्र में ही उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया था। स्वामी जी बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे। कहा जाता है कि मां के आध्यात्मिक प्रभाव और पिता के आधुनिक दृष्टिकोण के कारण ही स्वामी जी को जीवन अलग नजरिए से देखने का गुण मिला। स्वामी जी के पिता कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील थे। उनके दादा दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फारसी भाषा के विद्वान थे और 25 वर्ष की आयु में साधु बन गए थे। पारिवारिक माहौल ने उनकी सोच को आकार देने में मदद की। नरेंद्र बचपन से ही बहुत चंचल स्वभाव के थे। जैसे-जैसे वो बड़े होते गए, उनमें व्यावहारिक ज्ञान और पौराणिक समझ गहरी होती गई। उन्होंने पूरी दुनिया को अपनी बुद्धिमानी और हाजिर जवाबी का लोहा मनवाया। इन घटनाओं से लोग ना सिर्फ अचंभित रह गए बल्कि उनके व्यक्तित्व के प्रति लोगों का आकर्षण भी बढ़ता गया।
रिपोर्ट: लल्लन बागी, रसड़ा

No comments:

Post a Comment

सौ मीटर रेस में सिंधु वर्मा रही प्रथम

गुलाब देवी महिला महाविद्यालय के वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के विजेताओं को किया गया पुरस्कृत बलिया।  गुलाब देवी महिला महाविद्यालय...