संस्कृति विभाग के विशिष्टताओं का लाभ बलिया के निवासियों को हो सकेगा प्राप्त
बलिया। लोक संस्कृति, लोक कला, जनजातीय संस्कृति एवं जनजातीय कलाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय तथा लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान, उत्तर प्रदेश के मध्य समझौता ज्ञापन (एमओयू) शुक्रवार को लखनऊ में संपन्न हुआ।
इस एमओयू के द्वारा दोनों संस्थान मिलकर भारतीय संस्कृति के मूल स्वरूप लोक एवं जन जातीय संस्कृति की विशिष्टताओं और उनके महत्त्व को अधुनातन संदर्भों में रेखांकित करने का प्रयास करेंगे। लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा अपने सहयोगी संस्थाओं और संगठनों की सहायता से क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के उभरते हुए और ख्यात कलाकारों के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है ताकि राज्य की कला एवं संस्कृति को संरक्षित व संवर्धित किया जा सके।संस्कृति विभाग का मुख्य उद्देश्य भारत की शास्त्रीय एवं लोक संस्कृति एवं रंगकर्म को बढ़ावा देना है और यही उद्देश्य जेएनसीयू का भी है। जेएनसीयू ने योग, ललित कला, संगीत एवं रंगकर्म जैसे विभागों का गठन इसी उद्देश्य से किया कि स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए अंतर- सांस्कृतिक एवं बहु- सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण किया जा सके। इसी उद्देश्य से जेएनसीयू द्वारा कला महोत्सव, दीक्षोत्सव, मिलेट डे जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किये गए हैं।
जेएनसीयू का उद्देश्य भारतीय पारंपरिक भाषा एवं संस्कृति को बढ़ावा देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में स्थापित होना है। इसीलिए जेएनसीयू द्वारा संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के इस संस्थान के द्वारा एमओयू किया है। संस्कृति विभाग के इस संस्थान की विशिष्टताओं का लाभ बलिया के निवासियों को प्राप्त हो सके, इसके लिए भी जेएनसीयू द्वारा यह एमओयू किया गया।
जेएनसीयू, बलिया की ओर से कुलपति प्रो. संजीत कुमार गुप्ता और लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान, लखनऊ की ओर से निदेशक अतुल द्विवेदी ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, संस्कृति विभाग के विशेष सचिव अमरनाथ उपाध्याय एवं तुहीन द्विवेदी, ए.डी., संस्कृति विभाग, उ.प्र. सरकार भी उपस्थित रहे।
रिपोर्ट: विनय कुमार
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