नेताजी की जयंती पर भारत माता पूजन कार्यक्रम का हुआ आयोजन
बलिया। ज्योति जला निज प्राण की, बाती गढ़ बलिदान की, चलो उतारे हम सब भारत माता की आरती...गीत गाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बलिया नगर द्वारा बलिया शहर के चौक स्थित शहीद पार्क में नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की जयंती के अवसर पर भारत माता पूजन कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक, कार्यकर्ता व नगरवासी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में भारत माता व नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी के चित्र पर पुष्पार्चन के पश्चात दीप प्रज्वलन कर आरती की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक अजय जी ने भारत माता का पूजन करने के बाद भारत के अखंड स्वरूप की व्याख्या करते हुए भारतीय संस्कृति के मूल्यों को विश्व में सर्वोच्च बताया। उन्होंने कहा कि इसी संस्कृति में देश के प्रति निष्ठा सिखाई जाती है। हम लोग स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहें हैं। हम अभी भारत माता का पूजन किया है। सबके लिए शिव कल्याणकारी हैं। भारत माता हमारी आराध्या हैं। भारत के शिव कोई अन्य देश नहीं है जो अपने देश को माता कहता हो। सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो यह भारतवासी ही कहतें हैं। भारत की भौगोलिक संरचना देव निर्मित है। यह हिमालय से प्रारम्भ होकर सिंधु तक जाता है। उन्होंने आगे बताया कि भारत की भूमि आदि काल से ही त्याग और समर्पण की भूमि रही है। आने वाले पीढ़ी को हमारे संस्कार प्रदान करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत माता की सेवा प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। विश्व कल्याण और संपूर्ण मानवता की सुख समृद्धि की कामना के साथ साथ देश की एकता और अखंडता के संकल्प के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निरन्तर कार्य करता है। इस अवसर पर उन्होंने भारत की गौरवशाली परंपरा का जिक्र करते हुए भारतीय ऋषि-मुनियों के द्वारा लिखे गए ग्रन्थों के बारे में बताया। भारत की भूमि आदि काल से ही त्याग और समर्पण की भूमि रही है। उन्होंने आगे कहा कि भारत माता पूजन दिवस को हमें हमारे स्वाभिमान को जगाने के दिवस के तौर पर याद रखना चाहिए। उन्होंने सुभाषचंद्र बोस जी के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी की आज 126वीं जयंती है। भारत माता की आजादी के लिए 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा', 'जय हिंद' जैसे नारों से देश के लाखों क्रांतिकारियों के दिलों की धड़कन बने नेताजी सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही राष्ट्रवादी गतिविधियों में भाग लेते थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था। एक संपन्न बंगाली परिवार से सम्बन्ध रखने वाले बोस के सात भाई और छह बहनें थीं। पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता प्रभावती देवी थीं। बचपन से ही निडर सुभाष ने 1913 में कलकत्ता के प्रैसीडैंसी कालेज से मैट्रिक की परीक्षा पास की और 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह आई.सी.एस. की परीक्षा के लिए इंगलैंड चले गए। अगस्त 1920 में प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने शाही नौकरी को लात मार कर ब्रिटिश सरकार की जी हुजूरी की बजाय देश सेवा को प्राथमिकता दी।
उन्होंने आगे बताया कि ऐसे तो हमें अंग्रजी हुकूमत से आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन करीब 4 साल पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने हिन्दुस्तान की पहली सरकार का गठन कर दिया था। इस लिहाज से 21 अक्टूबर 1943 का दिन हर भारतीय के लिए बेहद ही खास और ऐतिहासिक है। देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज भी अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी का नाम देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में शामिल है। देश के लोगों में आजादी को लेकर नया जोश और उर्जा भरने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने ही 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया था। उनका यह नारा आज भी लोगों में एक अलग उत्साह भर देता है। अंत में सामूहिक वन्दे मातरम के बाद कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर जिला संघचालक भृगु जी, नगर संघचालक बृजमोहन जी, सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री, सह प्रान्त कार्यवाह विनय जी, विभाग प्रचारक तुलसीराम जी, जिला कार्यवाह हरनाम, सह जिला कार्यवाह अरुण मणि, नगर प्रचारक विशाल आदि के साथ नगर, जिला, विभाग, प्रान्त के कार्यकर्ता व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सह जिला कार्यवाह अरुण मणि ने किया। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन जी द्वारा दी गयी।
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