Sunday, January 29, 2023

सदा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे रज्जू भैया: विनय जी

मनाई गई आरएसएस के चौथे सरसंघचालक रज्जू भैया' जी की जयंती
बलिया। मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले राष्ट्र चिंतक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक, परम पूजनीय प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह 'रज्जू भैया' जी की जयंती पर रविवार को नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर में संघ के शीत शिविर के क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया के स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं तथा विद्यालय परिवार द्वारा उनके चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर पुष्पार्चन किया गया तथा उनके कृत्रित्व व व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर उनके विषय में बताते हुए गोरक्षप्रान्त के सह प्रांत कार्यवाह विनय जी ने कहा कि प्रोफेसर राजेंद्र सिंह जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक थे, जिन्हें सर्वसाधारण जन से लेकर संघ परिवार तक सभी जगह रज्जू भैया के नाम से भी जाना जाता है। वह 1994 से 2000 के बीच संघ के प्रमुख थे। रज्जू भैया ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और भौतिकी विभाग के प्रमुख के रूप में काम किया लेकिन 1960 के दशक के मध्य में आरएसएस को अपना जीवन समर्पित करने के लिए नौकरी छोड़ दी। राजेंद्र सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के गांव बनैल जिला बुलंदशहर शहर में ज्वाला देवी और बलबीर प्रताप सिंह के घर 29 जनवरी को हुआ था। श्रद्धेय रज्जू भैया 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय थे और इसी दौरान वे आरएसएस के संपर्क में आए। उसके बाद संघ ने उनके जीवन को प्रभावित किया। उन्होंने 1966 में अपने विश्वविद्यालय के पद से इस्तीफा दे दिया और प्रचारक के रूप में आरएसएस को पूर्णकालिक सेवाएं देने की पेशकश की।
उन्होंने आगे बताया कि रज्जू भैया बचपन से ही मेधावी थे। उनके पिता की इच्छा थी कि वे प्रशासनिक सेवा में जाएं। इसलिए पढ़ने के लिए उन्हें प्रयाग भेजा गया पर रज्जू भैया को अंग्रेजों की गुलामी पसन्द नहीं थी। उन्होंने प्रथम श्रेणी में एम,ए. सी. की परीक्षा उत्तीर्ण कर वहीं भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक हो गए।
उन्होंने आगे बताया कि रज्जू भैया जी तत्कालीन सरसंघचालक श्रीगुरुजी से अत्यधिक प्रभावित थे। 1943 में रज्जू भैया ने काशी से प्रथम वर्ष  संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण लिया। रज्जू भैया सदा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे। वे सदा तृतीय श्रेणी में ही यात्रा करते थे तथा यात्रा का व्यय स्वयं ही वहन करते थे। 1977 में रज्जू भैया सह सरकार्यवाह, 1978 में सरकार्यवाह व सन 1994 में सरसंघचालक बनें। उन्होंने देशभर में प्रवास कर स्वयंसेवकों को कार्य विस्तार की प्रेरणा दी। बीमारी के कारण उन्होंने वर्ष 2000 में श्री सुदर्शन जी को यह दायित्व दिया। इसके बाद भी वह सभी कार्यक्रमों में जाते रहे। अंतिम समय तक सक्रिय रहते हुए 14 जुलाई 2003 को पुणे में श्रद्धेय रज्जू भैया जी का देहांत हो गया।

इस अवसर पर जिला संघचालक भृगु जी, बलिया विभाग के सह विभाग कार्यवाह संजय शुक्ल, विभाग प्रचारक तुलसीराम जी, विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद सिंह चौहान, उप प्रधानाचार्य निर्भय निरंजन जी, ओम प्रकाश मिश्रा, सचिन के साथ नगर, जिला, विभाग व विद्यालय परिवार के आचार्यगणों ने श्रद्धेय रज्जू भैया जी के चित्र पर पुष्पार्चन किया। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन जी द्वारा दी गयी।

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