प्रवासी मजदूरों की त्रासदी पर आधारित आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक सुगना का हुआ मंचन
बलिया। बलिया रंगमंच के पर्याय बन चुके वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी के सशक्त अभिनय ने लोगों को झकझोर कर रख दिया। हिंदी रंगमंच दिवस के अवसर पर अमृतपाली स्थित अमृत पब्लिक स्कूल में संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा जनगीतों की प्रस्तुति की गई तथा प्रवासी मजदूरों की त्रासदी पर आधारित आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक सुगना का मंचन किया गया।
नाटक की एकल प्रस्तुति आशीष त्रिवेदी ने किया। प्रस्तुति देख सभागार में बैठा हर शख्स फफक -फफक कर रोने लगा। अपने शानदार अभिनय से आशीष त्रिवेदी ने बलिया के रंगमंच को ना सिर्फ समृद्धि किया है बल्कि उसे एक नया आयाम भी दिया है। सुगना उस दौर की कहानी है जब पिछले साल कोरोना काल में लाक डाउन की वजह से प्रवासी मजदूर मुंबई, गुजरात, पंजाब, राजस्थान जैसे शहरों से उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर पैदल ही अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में भूख, प्यास और गर्मी से तड़प कर बहुत सारे लोगों की जान चली गई। ऐसे ही एक मजदूर की कहानी है सुगना। नाटक में मदन नाम का एक मजदूर अपने लड़के सुगना को मुंबई से बलिया पैदल ही लेकर चल देता है। रास्ते में सुगना की भूख और प्यास से तड़पकर मौत हो जाती है। इस पूरे परिदृश्य को देख कर सबकी आंखों से आंसू निकल पड़ा। इस अवसर पर संकल्प के रंगकर्मियों ने गोरख पांडेय, विजेंद्र अनिल, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ और साहिर लुधियानवी के गीतों और नज्मों को प्रस्तुत किया। 'वो सुबह कभी तो आएगी, इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें, हम देखेंगे, इत्यादि गीतों की प्रस्तुति सोनी, ट्विंकल गुप्ता, आनंद कुमार चौहान, रोहित, अनुपम और मुकेश ने किया।
इस अवसर पर डॉ राजेंद्र भारती, शशि प्रेमदेव, डॉक्टर कादंबिनी, डॉ मंजीत सिंह, डॉ उमेश, पत्रकार सुधीर ओझा, रितेश श्रीवास्तव, रामेश्वर प्रसाद यादव इत्यादि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डॉ जनार्दन राय ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन अचिंत्य त्रिपाठी ने किया। वही धन्यवाद ज्ञापन संजय मौर्य ने किया।
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