मनाई गई पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की 16वीं पुण्यतिथि
बलिया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जननायक चंद्रशेखर जी की 16वीं पुण्यतिथि शनिवार को शेखर फाउंडेशन और चंद्रशेखर विचार मंच के तत्वावधान मे मनाई गई।
चंद्रशेखर उद्यान में राष्ट्रनायक चंद्रशेखर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए सदस्य विधान परिषद् रविशंकर सिंह ने भावुक होते हुये कहा कि कुछ लोग बेहद खास होते हुये भी बेहद आम नजर आते हैं। भारतीय राजनीति में ऐसी ही एक शख्सियत थे चंद्रशेखर, जो लोगों को एकदम अपनी सी नजर आती थी। बिना कंघी के बाल, हल्की दाढ़ी से घिरा चेहरा, भविष्य में झांकती आँखे, जिस्म पर धोती कुर्ता, पांव में चप्पल कुल मिला कर खालिस हिन्दुस्तानी अंदाज। उनकी यही खासियत उनका लोगों से सीधा और गहरा जुड़ाव बनाती रही। आडम्बर और दिखावे से कोसों दूर। देसी ठसक के साथ सीधी सपाट बातचीत। चाहे नाराजगी हो या खुशी हमेशा सामने से जाहिर की। मसला राजनीतिक हो या सामाजिक, दो बातों का हमेशा ख्याल रखा एक उसूल और दूसरा मानवीय संवेदना। रिश्तों को जीने में उनका कोई जवाब नहीं था, जिसका हाथ थामा कभी छोड़ा नहीं। लम्बे सियासी सफर में कई साथ आये तो कई ने साथ छोड़ा भी पर उनकी तरफ से कोई गिला नहीं, कोई शिकवा नहीं, जब मिले वही अंदाज, सामने वाला खुद ब खुद सिमट जाता। ऐसे थे चंद्रशेखर जिनकी शख्सियत से अपनी माटी अपना देश की खुशबू का अहसास होता था।
सियासत के शिखर पर होने के बावजूद अपनी जड़ों से गहराई तक जुड़ी ऐसी शख्सियत अब कहां। इतिहास की समझ और राष्ट्रीय धरोहरों से ऊर्जा ग्रहण करने की जो तीक्ष्ण दृष्टि चंद्रशेखर जी में थी वह किसी दूसरे सामयिक नेता नही। 1984 में चुनाव हारने के बाद कई प्रस्तावों के बावजूद वह कहीं दूसरी जगह से चुनाव नही लङे, न पिछले दरवाजे से संसद में पहुचें 1985, से 1990 के बीच सक्रिय राजनीति के अलावा चंद्रशेखर जी ने जो सृजनात्मक कार्य किये हैं, वे उनके संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति के ही परिणाम है कि सिताबदियारा में जेपी स्मारक, करौधी में राममनोहर लोहिया स्मारक, चंपारण, भीतहरवा में गांधी आश्रम का जीर्णाेद्धार, आचार्य नरेंद्र देव के नाम पर स्मृति-समारोह, लोगों से एक-एक रूपया लेकर कमर भर पानी-कीचड़ पार करतें हुए, खुद ही ईट उठाते हुए, सफाई करते हुए, आधी रात तक काम करते हुए, उन पावन स्मृतियों के प्रति सामाजिक उत्तरदायित्व का ऋण और शारीरक श्रम का यह पहलू मौजूदा राजनेताओं में शायद अकेले चंद्रशेखर जी के हिस्से पङा है। चंद्रशेखर जी के व्यक्तित्व मे ग्रामीण साहस, औदार्य, सरलता और आत्मविश्वास का समन्वय था। मस्तिष्क और ह्रदय का उनका समृद्ध समन्वय उनकी जेल डायरी में निखरा है।
इस अवसर पर राणा प्रताप सिंह, अनिल सिंह, मनोज सिंह, भुवनेश्वर चौधरी, नागेंद्र पांडे, वंश बहादुर सिंह, उत्कर्ष सिंह, आलोक सिंह झुनझुन, दीनबंधु सिंह, तेजा सिंह, विवेक सिंह, अनिरुद्ध सिंह, अमित सिंह बघेल, दिग्विजय पांडे, दिनेश सिंह, करण सरावगी, धनंजय कुंवर, जितेंद्र सिंह आदि रहे।
रिपोर्ट: विक्की कुमार गुप्ता
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