Sunday, January 15, 2023

सामाजिक समरसता का प्रतीक है मकर संक्रांति: रविशंकर

आरएसएस बलिया नगर के स्वयंसेवकों द्वारा धूमधाम से मनाया गया मकर संक्रांति उत्सव 
बलिया। क्रांति का यह पर्व आया, ज्ञान का संदेश लेकर। गहनतम की निशा बीती, भोर आया भाग्य लेकर... जैसे सांघिक गीत गाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के स्वयंसेवकों द्वारा आज रविवार को बलिया जिले के तिखमपुर स्थित कृषि मंडी में मकर संक्रांति उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। 
सर्वप्रथम मुख्य अतिथि गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त सेवा प्रमुख रविशंकर जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला संघचालक भृगु जी व नगर संघचालक बृजमोहन जी द्वारा भारत माता, पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार व पूज्य श्रीगुरुजी माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर के चित्र पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। ध्वजारोहण व एकलगीत के बाद मुख्य अतिथि जी ने मकर संक्रांति उत्सव के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि मकर संक्रांति का उत्सव संघ द्वारा मनाए जाने वाले छह प्रमुख उत्सवों में से एक उत्सव है। आज के दिन भगवान भास्कर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तथा दक्षिणायन समाप्त होकर उत्तरायण प्रारंभ होता है। सृष्टि पुनः अंधकार से प्रकाश की ओर तथा निर्जीवता से जीवन की ओर जाने लगती है। इसीलिए प्राचीन काल से ज्ञान रूपी प्रकाश की उपासना करने वाले भारतीय जीवन में इस दिन का महत्व है। मकर संक्रांति सामाजिक समरसता का प्रतीक है। 
उन्होंने आगे बताया प्रत्येक माह में संक्रांति होती है। सूर्य द्वारा एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की घटना को संक्रांति कहते हैं।  इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य होता है कि लोगों के बीच समरसता का भाव जगे। यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर, अकर्मण्यता व आलस्य से कर्मठता की ओर प्रवृत्त होने की प्रेरणा देता है। यह पर्व सामाजिक कुरीतियों, समस्त भेदभाव को दूर कर सामाजिक समता व समरसता स्थापित करने का शुभ दिन है। उन्होंने आगे बताया कि जैसे हम सभी जानते हैं कि मकर संक्रांति सामाजिक समरसता का पर्व है। जिस प्रकार गुण स्वयं को अग्नि पर तपाकर व गलाकर बिखरे हुए तिल के दानों को अपने साथ जोड़ लेता है और एक स्वादिष्ट व्यंजन का निर्माण करता है, ठीक उसी प्रकार हमें भी गुड़ की भूमिका निभानी है और स्वयं को तपाकरकर अपने संपूर्ण समाज को समरसता व एकता के सूत्र में पिरोना है।
उन्होंने संघ स्थापना व विकास के बारे में विस्तार से बताया कि परम पूज्य डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने समाज में जिन गुणों की आवश्यकता का अनुभव किया उन्हीं के अनुरूप उत्सवों की योजना की। प्रत्येक उत्सव किसी विशेष गुण की ओर इंगित करता है। भारतीय पर्व त्योहारों का संबंध नक्षत्रों, राशियों के अलावा ऋतु परिवर्तन, परंपराओं और लोक संस्कृति से भी है। हमारे आध्यात्मिक पौराणिक ग्रंथों में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। मकर संक्रांति भी इसी पर्व परंपरा का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। मकर संक्रांति जहां संस्कृति, समाज और ज्योतिष से जुड़ा पर्व है वहीं यह विज्ञान और सूर्य से भी उतना ही जुड़ा हुआ है।

जिला संघचालक जी द्वारा आशीर्वचन के बाद संघ प्रार्थना हुई व उसके बाद लगभग पंद्रह सौ व्यक्तियों ने खिचड़ी का आनन्द लिया। इस अवसर पर सह जिला संघचालक विनोद जी, सह नगर संघचालक परमेश्वरनश्री जी, गोरक्षप्रान्त के प्रांत गौ सेवा प्रमुख अखिलेश जी, विभाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख जितेंद मिश्र जी नगर प्रचारक विशाल जी के साथ नगर, जिला, विभाग के कार्यकर्ता स्वयंसेवक, विचार परिवार के कार्यकर्ता व सर्व समाज के व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य शिक्षक नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख चंद्रशेखर जी थे। अतिथियों का परिचय ओम प्रकाश राय जी ने कराया। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन द्वारा दी गयी।

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