छोटी काशी के नाम से बिख्यात रसड़ा के रामलीला मैदान में चल रहा रामलीला का मंचन
रसडा (बलिया)। रावण अपनी बहन शूर्पणखा का राम के छोटे अनुज (भाई) लक्षमण द्वारा नाक काटे जाने पर, प्रतिकार यानी बदले की भावना से छल कपट साधू का भेस बना कर भीक्षा मागने का बहाना से माता सीता का हरण कर ले जाने बाद रामलीला का 7वे दिन सप्तमी को, सीता माता की खोज मे छोटी काशी के नाम से बिख्यात रसड़ा के रामलीला मैदान (पंचवटी) मे माता सीता को न देख मे सीता की खोज मे निकले।
बन मे पशु पक्षी जानवर जीव जन्तु से ब्याकुल विहवल होकर पूछते की सीता को किसी ने देखी है। अन्तत: खोजते खोजते का गीद्ध राज जटायु घायल मिलते है, के बताये जाने पर रावण सीता को ले गया है। जब प्रभु राम शबरी के (कुटिया) आश्रम मे पहुचे। इसके पूर्व शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे तो शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी। उस समय शबरी दश वर्ष की थी महर्षि का हाथ पकड़ कर रोने लगी जिसे देख व्याकुल हो उठे। उसे समझाया पुत्री इस आश्रम मे भगवान राम आयेगे, तुम यही प्रतीक्षा करो वह अबोध थी और जानती थी कि गुरू का बचन सत्य होकर रहेगा। पूछने लगी कब आयेगे। महर्षि त्रिकाल दर्शी थे। वे सब जानते थे। वे शबरी के आगे घूटनो के बल बैठ उसको नमन किया यह स्थिति आसपास के त्रर्षिगण असमंजस मे थे। गुरू शिष्य को नमन करेगा यह कैसा, उल्टा कैसे हो सकता। उनके सिद्धि तेज, आगे किसी ने नही बोला। राम का जन्म नही हुआ है। जन्म होने के बाद अवश्य आयेगे। तो राम की आने की आशा मे शबरी (भीलनी) आस लगाये, जो बूढी हो गई थी। राम को देख कर उसके आँख डबडबा गई अस्रू भर जाती है। राम से कहती है, हे राम तुम जन्मे नही थे तबसे मै आशा लगाई रही है कि गुरू की कही बचन मिथ्या नही होती है जो सत्य हुआ। मुझ अधम के (कुटिया) आश्रम मे राम आ ही गये मै धन्य हो गई। मेरा राम मर्यादा पुरुषोत्तम है जो मेरे जैसे के यहां आया। अगर रावण का वध नही करना होता तो शायद ही आते।
तब राम बोले ऐसा नही है मा से मिलने के लिए ही आया। रावण को लक्ष्मण तो मेरे इशारे पर खत्म कर दिया होता। इतनी दूर क्यो आता। मा का प्रेम के कारण मा से मिलने आया। समाज को जागरूक करने की छोटा बडा छूआ छूत भेद भाव ऊच नीच का भेद मिटाना 14 वर्ष बन मे बिताना समाज को दिशा दिखाने के लिए मानव को जागृत करने सही समाज, दुष्ट नाश कर धर्म की स्थापना करने हेतु मेरा जन्म हुआ।
रिपोर्ट: लल्लन बागी
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