Saturday, July 2, 2022

सड़क किनारे खेतों में फेंकी मिली जीवन रक्षक दवाएं

क्षेत्रीय जनता ने शासन प्रशासन का ध्यान इस तरफ कराया है आकृष्ट
चिलकहर (बलिया)। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के अथक प्रयास से सरकारी अस्पतालों में वर्षों से व्याप्त दुर्व्यवस्था एवं पटरी से उतरी स्वास्थ सेवाओं में कुछ कुछ तो सुधार होता दिखाई दें रहा है। फिर भी अभी और प्रयास और कठोर कार्यवाही की जरूरत है, ताकि प्रदेश में सरकारी अस्पतालों का व्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो सके।
 सरकारी अस्पतालों के अधिकारियों के अकर्मण्यता ओर निऱकुवता का आलम यह है कि जहां गरीब मरीज दवाये खरीदने पर मजबूर हैं। दवा के अभाव में लोग मर रहे है। वहीं तीन चार बोरी लाखों रुपए कि दवा सड़क किनारे खेतों में फेंकी गई देखी जा सकती है। जनता के दृष्टि में डाक्टर ईश्वर के बाद दुसरा दर्जा प्राप्त भगवान होता है, वहीं डाक्टर वर्ग कितना संवेदनहीन हृदयहीन हों गया है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह गरीब मरीज को हास्पिटल में उपलब्ध दवा रोगियों को न देकर उसे बाहर सड़क पर फेंक देना ज्यादा मुनासिब समझते है। 

सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक कमीशन के लालच में रोगियों को बाहर की दवा लिखना एक चलन हो गया है। सरकारी अस्पतालों में खरीदी गई दवा रोगियों को न देकर बाहर सड़कों के किनारे आप को मिल सकती है विश्वास न हो तो बलिया रसड़ा राजधानी रोड से संवरा से पाण्डेयपुर को जा रही रोड पर चन्द्र शेखर बाबा केशव महाविद्यालय सवरा के दक्षिण तरफ बोरियों में भर कर सड़क किनारे फेकी गई देखी जा सकती है। यह दवा आस पास के हास्पिटल से ही फेंकी गई होगी। क्षेत्रीय जनता द्वारा शासन प्रशासन विशेष कर स्वास्थ मंत्री का ध्यान इस तरफ आकृष्ट कराया है।
रिपोर्ट: गोपी नाथ चौबे

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