उत्साह के साथ मनाया गया दयानन्द प्रभात शाखा का वार्षिकोत्सव
बलिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बलिया नगर में लगने वाली दयानन्द प्रभात शाखा का वार्षिकोत्सव रविवार को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। जिसमें स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में शाखा पर वर्ष भर किये जाने वाले कार्यक्रमो का प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान स्वयंसेवकों ने योग, दण्ड-योग, समता, खेल आदि का प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता बलिया विभाग के विभाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख जितेंद्र मिश्रा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति एवं व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला है। देश-भक्ति और अनुशासन वर्तमान समय में समाज की आवश्यकता है। संघ की शाखा में स्वयंसेवकों के भीतर साहस समर्पण और स्वाभिमान और देशभक्ति का भाव पैदा किया जाता है। उन्होने आगे बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल में छह उत्सव मनाता है। इस उत्सव के माध्यम से संघ समाज को जोड़ने का काम करता है। इसी के साथ संघ शाखाओं का वार्षिकोत्सव भी मनाता है। इसके माध्यम से स्वयंसेवकों को हर क्षेत्र में परिपूर्ण बनाने का प्रयास किया जाता है। वार्षिकोत्सव में संघ के विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। यह कार्यक्रम स्वयंसेवकों को दक्ष बनाने का कार्य करते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि परम पूज्य डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जी ने आज से 98 वर्ष पूर्व विजयादशमी उत्सव के अवसर पर सन 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। डॉक्टर जी ने बंगाल के नेशनल मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस की परीक्षा उतीर्ण किया था। डॉक्टर जी ने हिदुओं को संगठित करने के लिए संघ की स्थापना किया था। डॉक्टर जी के देहावसान के बाद सरसंघचालक का दायित्व परम पूज्य माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी के कंधे पर आ गया। डॉक्टर जी ने चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद चिकित्सक के रूप में कार्य किया परन्तु बिखरे हिंदुओं को संगठित करने व राष्ट्र सेवा हेतु उन्होंने चिकित्सक की नौकरी का परित्याग कर दिया। 1925 में जब संघ का कार्य प्रारंभ हुआ, तब डॉक्टरजी की आयु 35 वर्ष की थी । तब तक उन्होने तत्कालीन स्वातंत्र्य प्राप्ति हेतु चल रहे सभी आंदोलनों और कार्यों में जिम्मेदारी की भावना से कार्य किया। संघ का कार्य प्रारंभ करने के लिये उन्होंने 12-14 वर्षों की आयु वाले कुछ किशोर स्वयंसेवकों को साथ में लेकर नागपुर के मोहिते के जर्जर बाडे का मैदान साफ करके, कबड्डी जैसे भारतीय खेल खेलना आरंभ किया। कबड्डी जैसे खेलों से शाखा का कार्य प्रारंभ होने पर डॉक्टरजी के अनेक मित्रों ने उनसे पूछा कि आप सारे कामों से मुक्त होकर इन छोटे बच्चों के साथ कबड्डी खेलने में क्यों लगे हैं?
डॉक्टरजी ने उनके साथ कभी वाद विवाद या बहस नहीं की। तर्क और बुद्धि का सहारा लेकर उन्हें संघ कार्य का महत्व समझाने का प्रयास भी नहीं किया। तब तक किये गये सारे सामाजिक कार्यों से मुक्त होकर वे मोहिते बाड़े में लगने वाली सायं शाखा में किशोर स्वयंसेवकों के साथ तन्मय होकर खेलकूद में शामिल होने लगे। शाखा के कार्यक्रमों का ठीक ढंग से आयोजन करने, सारे कार्यक्रम अच्छे ढंग से बिना किसी भूल के सम्पन्न हों, इसके लिये एकाग्र चित्त हो वे संघ कार्य में जुट गये। वे तन्मयता से विविध खेलों के कार्यक्रमों में व रंग जाते और अपने साथ किशोर स्वयंसेवकों को भी रमाने का प्रयास करते और इस प्रकार संघ की शाखा शुरू हुई।
उन्होंने आगे बताया कि डॉक्टर साहब जन्मजात देश भक्त थे। बाल्यकाल से ही बालक केशव के मन में भारत के प्रति कुदृष्टि रखने वाले विदेशी ताकतों के प्रति विरोध की भावना रखते थे। साल 1907 में रिस्ले सर्कुलर नाम से वंदे मातरम के सार्वजनिक उद्घोष पर पर पाबंदी का अन्याय पूर्ण आदेश पारित किया गया। उसके विरोध में केशव ने अपने विद्यालय में अंग्रेज निरीक्षक के सामने अपनी कक्षा के सभी विद्यार्थियों के द्वारा वंदे मातरम का उद्घोष करवाया। प्रधानाचार्य ने सभी विद्यार्थियों से पूछा कि यह किसकी शरारत है। जब किसी भी विद्यार्थी नया केशव का नाम नहीं बताया तो यह फैसला किया गया कि स्कूल बंद कर दिया जाए। सबके सामने यह सोच कर कि इस तरह सभी विद्यार्थियों की पढ़ाई रुक जाएगी स्वयं आकर बताया कि यह मेरे निर्देश पर किया गया है। तब केशव से माफी मांगने के लिए दबाव बनाया गया। माफी मांगने से इनकार करने पर बालक के केशव को स्कूल से निष्कासित कर दिया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कार्यवाह हरनाम जी द्वारा किया गया। मुख्य शिक्षक बलिया के जिला शारीरिक शिक्षण प्रमुख सत्यव्रत जी थे। एकलगीत अखिलेश जी द्वारा व अमृत वचन अनमोल तिवारी जी द्वारा किया गया। अतिथियों का परिचय जिला सेवा प्रमुख डॉ. संतोष तिवारी जी ने कराया। इस अवसर पर दयानन्द शाखा के स्वयंसेवक बंधूओं के साथ अन्य स्वयंसेवक व समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उपरोक्त जानकारी जिला प्रचार प्रमुख मारुति नन्दन द्वारा दी गयी।
No comments:
Post a Comment